नई दिल्ली: ख्वाब तो अक्सर लोग देखते हैं. कई लोगों को डरावना ख्वाब आता है. अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं तो अच्छी तरह ये खबर पढ़ लें. डरावने सपने फायदे का कारण बनते हैं. आखिर डरावने सपने से क्या फायदा है? ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि अमेरिका और स्विटजरलैंड के वैज्ञानिकों के संयुक्त शोध में दावा किया गया है. शोध की रिपोर्ट ह्यूमन ब्रेन मैपिंग नामी पत्रिका में प्रकाशित हुई है.


 डरावने सपने जागने के दौरान खौफ को कंट्रोल करता है -


जेनेवा यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ऑफ जेनेवा और विस्किंसन यूनिवर्सिटी की तरफ से किये गये अध्ययन में पता चला है कि डरावने सपने जागने के दौरान खौफ को कंट्रोल करने में मदद करते हैं. रिसर्च के दौरान वैज्ञानिकों ने जानना चाहा कि क्या सपने से दिमाग का किसी तरह का संबंध होता है ? डरावने सपने देखने के दौरान दिमाग का कौन सा हिस्सा सक्रिय रहता है ?


अपने शोध में उन्होंने पाया कि डरावने सपने देखने से दिमाग के उस हिस्से की उपयोगिता बेहतर होती है जो जागने के दौरान खौफजदा कर देनेवाले अनुभव पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हैं. मगर वैज्ञानिकों ने ये भी पाया कि बहुत ज्यादा डरावने सपने का नकारात्मक असर भी हो सकता है. इस उद्देश्य के लिए वैज्ञानिकों ने स्वयंसेवकों के सिरों पर ईईजी इलेक्ट्रोज का इस्तेमाल कर दिमागी सक्रियता का जायजा लिया.


वैज्ञानिकों ने 18 स्वंयसेवकों के सिरों पर 256 ईईजी इलेक्ट्रोज लगाए. इस दौरान स्वंयसेवकों को रात को कई बार जगाया गया. हर बार जागने पर स्वयंसेवकों से कई सवाल के जवाब बताने को कहा गया. सवाल में पूछा गया कि क्या आपने सपना देखा? अगर हां, तो क्या डर महसूस हुआ ?


शोधकर्ताओं के मुताबिक दिमाग की सक्रियता की तुलना करने पर पाया गया कि सपने देखने के दौरान दिमाग का वो हिस्सा सक्रिय होता है जो डर या खौफ जैसी भावना को कंट्रोल करता है. उन्होंने बताया,” पहली बार हम डरावने सपने देखने के दौरान खौफजदा कर देनेवाले दिमागी हिस्सों की पहचान करने में कामयाब हुए और ये देखा कि ऐसे ही हिस्से नींद और जागने के दौरान खौफ की सूरत में सक्रिय होते हैं.”


इसके बाद शोधकर्ताओं ने नींद के दौरान खौफ और जागने के बीच संबंध का अध्ययन किया. उन्होंने 89 स्वयंसेवकों को एक हफ्ते तक सपनों को डायरी में लिखने को कहा. जब एक हफ्ता बीत गया तब एमआरआई मशीन का इस्तेमाल किया गया. मशीन में स्वयंसेवकों को भावनात्मक तौर पर खतरनाक स्थिति की तस्वीर दिखाई गई. उसके बाद प्रतिक्रिया जानने के लिए उन दिमागी हिस्सों की तस्वीर ली गई जो डर की सूरत में सक्रिय होते हैं.


शोध में पाया गया कि डरावने ख्वाब लोगों को जागने की हालत में डर से लड़ने के लिए तैयार करते हैं और जितने ज्यादा डरावने ख्वाब देखेंगे, उतना ही ज्यादा दिमाग का वो हिस्सा सक्रिय होगा जो डर को कंट्रोल करता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक हो सकता है कि जागने की हालत में हमारे भविष्य की प्रतिक्रिया और वास्तविक जिंदगी के रिस्क से निबटने की ट्रेनिंग मिलती हो. अब अगर ख्वाब देखने की मात्रा बढ़ जाए तो ये सकारात्मक की बजाय नकारात्मक हो जाता है. क्योंकि इससे नींद प्रभावित होती है जबकि नकारात्मक असर जागने के बाद भी बरकरार रह सकता है.

ये खबर रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.