नई दिल्ली: सर्दियों में मुंह से भाप या धुंआ निकलता है. लेकिन ऐसा क्यों होता है ? क्या आपने कभी वजह जानने की कोशिश की ? अगर नहीं तो चलिए हम बता देते हैं. दरअसल इसके पीछे बहुत ही दिलचस्प जानकारी है.


विज्ञान के मुताबिक इंसानी शरीर के 60 फीसद हिस्से में पानी रहता है. जब हम सांस छोड़ते हैं तो हमारे शरीर से सिर्फ कार्बन डाइऑक्साइड नहीं निकलता बल्कि कुछ मात्रा में पानी के वाष्प भी निकलते हैं. पानी के मैलकुलज को गैस की शक्ल में रहने के लिए बहुत ऊर्जा की जरूरत होती है.


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जब गर्म पानी के वाष्प वाले मैलकुलज फेफड़ों से बन कर जिस्म से बाहर सर्द हवा में जाते हैं परिवर्तन देखने को मिलता है. ये घने होकर बहते पानी और बर्फ के कतरों की शक्ल अख्तियार कर लेते हैं. रासायनिक प्रक्रिया ठीक उसी तरह से होती है जिस तरह से आसमान में बादल बनते हैं.


विज्ञान बताता है कि सिर्फ तापमान नहीं बल्कि नमी भी इस बात का फैसला करती है कि आप भाप की शक्ल में अपनी सांस को देख सकें. सांस में मौजूद पानी के वाष्प घने होकर द्रव्य का रूप ले लेते हैं. इसके बाद तापमान के पैमाने पर हवा और पानी के वाष्प ओस में बदलते हैं. जिससे आपको अपनी सांस धुंए की शक्ल में नजर आने लगती है.


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इसका मतलब ये हुआ कि हवा में जितनी नमी होगी, सांस को देखने का मौका भी उतना ज्यादा होगा. चाहे मौसम कुछ गर्म ही क्यों ना हो. इसकी तुलना में मौसम खुश्क होने पर बाहर जितनी भी सर्दी होगी सांस को देखने का मौका उतना ही कम होगा. इसलिए कि सर्द और खुश्क हवा पानी के वाष्प को सोख लेता है.