Coronavirus: AIIMS डायरेक्टर से जानिए- क्यों सभी लोगों को एक साथ वैक्सीन नहीं दी जा सकती?
गुलेरिया ने कहा, उपलब्ध टीकों की संख्या के अनुसार लोगों को इसकी डोज देने का हमारा लक्ष्य है और ये सब हम अपनी प्राथमिकता सूची के आधार पर कर रहे हैं. AIIMS के डायरेक्टर ने कहा है कि, स्वास्थ्यकर्मियों के लिए वैक्सीन की डोज लगवाना अनिवार्य होना चाहिए.
देश में कोविड टीकाकरण अभियान के तीसरे चरण की शुरुआत हो चुकी है. AIIMS के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि, ज्यादा से ज्यादा लोगों को कोविड का टीका लगाने के साथ साथ कम आयु वर्ग के लोगों को भी इसमें शामिल करना इस समय की सबसे बड़ी जरूरत है. साथ ही उन्होंने कहा कि, ये सब टीकों की उपलब्धता के आधार पर ही किया जा सकता है.
रणदीप गुलेरिया ने कहा, "भारत एक बहुत बड़ा देश है. यदि हम देश की पूरी वयस्क आबादी के टीकाकरण की बात करते हैं तो ये संख्या लगभग एक बिलियन होती है. इस एक बिलियन आबादी के लिए हमें दो बिलियन टीकों की जरुरत होगी. एक साथ इतनी संख्या में टीकों की उपलब्धता लगभग नामुमकिन है."
रणदीप गुलेरिया ने साथ ही कहा, "हमें लगातार टीकाकरण के इस अभियान पर ध्यान रखने की जरुरत है. हफ्ते भर या दस दिन बाद यदि आंकड़ों से ये पता चलता है कि, तय संख्या से कम लोग वैक्सीन की डोज लेने के लिए आ रहे हैं तो धीरे धीरे कम आयुवर्ग के लोगों को भी इस सूची में शामिल किया जा सकता है."
उन्होंने कहा, "कम आयु वर्ग में ऐसे बहुत से लोग हैं जो वैक्सीन की डोज लगवाना चाहते हैं. जबकि ज्यादा आयु वर्ग के लोग जिन्हें फिलहाल टीका लगाया जा रहा है उनमें से कई वैक्सीन लगवाने से घबरा रहे है और इसके चलते ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की डोज देने के अभियान में बाधा आ रही है."
स्वास्थ्यकर्मियों के लिए वैक्सीन लगवाना हो अनिवार्य
16 जनवरी से शुरू हुए इस टीकाकरण अभियान को लेकर अभी भी कई राज्यों से उम्मीद के अनुसार प्रतिक्रिया नहीं मिली है. इन राज्यों में अब तक कई फ़्रंटलाइन वर्कर और स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन की डोज नहीं दी जा सकी है. इसपर प्रतिक्रिया देते हुए गुलेरिया ने कहा, "कोविड-19 के मरीजों की देखभाल में लगे सभी स्वास्थ्यकर्मियों के लिए वैक्सीन की डोज लगवाना अनिवार्य होना चाहिए. हमारे अस्पतालों के आंकड़ों से पता चलता है कि, लगभग 50 प्रतिशत स्वास्थ्यकर्मियों ने अब तक वैक्सीन की डोज नहीं लगवायी है. आम लोगों के मुकाबले स्वास्थ्यकर्मियों में वैक्सीन लगवाने को लेकर ज्यादा झिझक है. मैंने उनको समझाया भी है कि, ये आपसे ज्यादा आपकी देख रेख में रह रहे मरीजों के लिए जरूरी है."
45 वर्ष से ऊपर के लोगों को शामिल करने से बढ़ी संख्या
उन्होंने कहा, "गुरुवार से 45 वर्ष से ऊपर के आयुवर्ग के लोगों को भी इस अभियान में शामिल कर लिया गया है. इसके बाद से डोज लगवाने के लिए आने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी देखने को मिली है. AIIMS, दिल्ली में हम पहले हम पांच बूथों पर लगभग 600 लोगों को रोजाना वैक्सीन की डोज लगा रहे थे. गुरुवार को हमनें 996 लोगों को इसकी डोज दी है. हमें उम्मीद है जल्द हम रोजाना एक हजार लोगों को वैक्सीन की डोज दे पाएंगे. ये अभी शुरुआत है, आगे हमें और बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद है. अगर दस दिन बाद ये लगता है कि इस अभियान में स्थिरता आ रही है और तय लक्ष्य के केवल 50 प्रतिशत लोग ही वैक्सीन लगवाने आ रहे हैं. ऐसे में और कम आयु वर्ग के लोगों को भी इसमें शामिल करने पर विचार किया जा सकता हैं."
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