How To Avoid Urine Leakage Issue: बाथरूम तक पहुंचते-पहुंचते यूरिन लीक हो जाना कोई असामान्य समस्या नहीं है. बढ़ती उम्र में यह दिक्कत होना आम है. हालांकि कम उम्र में भी कई अलग-अलग कारणों के चलते यह समस्या हो जाती है. इस समस्या में अचानक से यूरिन का तेज प्रेशर बनता है और जब तक व्यक्ति टॉयलेट तक पहुंचता है, कम या ज्यादा मात्रा में यूरिन कपड़ों में ही लीक हो जाता है. पुरुषों की तुलना में यह समस्या महिलाओं को अधिक होती है और किसी भी उम्र में यह समस्या गंभीर या मीडियम रूप से अफेक्ट कर सकती है...


क्या हैं यूरिन लीक होने के कारण?
यूरिन लीक होने की समस्या को मेडिकल की भाषा में मूत्र असंयमितता (Urinary Incontinence) कहा जाता है. जब किसी भी कारण के चलते यूरिन को कंट्रोल करने वाले स्फिंक्टर (Sphincter)कम हो जाते हैं, खराब हो जाते हैं या पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं तो इस स्थिति में यूरिन लीक होने की समस्या का सामना करना पड़ता है.


मूत्र असंयमितता के प्रारंभिक लक्षण



  • यूरिन लीक होने की समस्या अचानक शुरू नहीं होती है. शुरूआत में रोगी को खांसते या छींकते समय कपड़ों में कुछ बूंद यूरिन लीक होता है.

  • यूरिन का प्रेशर अचानक से बनने लगता है और ऐसा लगता है कि तुरंत यूरिन पास नहीं किया तो पेट फट जाएगा.

  • इस स्थिति को भी अगर अनदेखा किया जाए तो कुछ समय बाद यूरिन का तेज प्रेशर बनने के साथ ही टॉयलेट पहुंचने तक यूरिन लीक होने की समस्या होने लगती है. लेकिन प्रारंभिक स्तर पर यूरिन कुछ ड्रॉप्स के रूप में ही लीक होता है.

  • यदि आप इस स्थिति को भी गंभीरता से नहीं लेते हैं और अपने डॉक्टर से कंसल्ट करके जरूरी दवाएं और फूड्स नहीं लेते हैं तो अचानक से यूरिन लीक होकर कपड़े खराब होने की समस्या हो सकती है.

  • बहते पानी की आवाज सुनकर भी यूरिन का प्रेशर बनना और यूरिन पास करने की तीव्र इच्छा जागना.

  • अचानक तेज यूरिन का प्रेशर बनना और करवट बदलते हुए या उठते समय कुछ ड्रॉप्स यूरिन का लीक हो जाना.

  • रात में सोते समय यूरिन पास करने के लिए बार-बार उठने की आवश्यकता होती है.

  • मुंह बहुत सूखता है, बार-बार प्यास लगती है और पानी पीने के आधा-पौना घंटे के अंदर ही यूरिन पास करने की तीव्र इच्छा होती है. क्योंकि यूरिन का प्रेशर बहुत अधिक बन रहा होता है.


यूरिन लीक होने की समस्या का इलाज
इस बीमारी का इलाज कारणों को जानने के बाद उनके आधार पर किया जाता है. इलाज के दौरान दवाओं के साथ ही ट्रेनिंग और टेक्नीक पर अधिक फोकस होता है.


इन ट्रेनिंग में पेशेंट को यूरिन पास करने के लिए ब्लैडर ट्रेनिंग, डबल बाइडिंग, टॉयलेट शेड्यूल जैसी तकनीक सिखाई जाती हैं. साथ में यह भी सलाह दी जाती है कि किस तरह का भोजन उनकी समस्या को बढ़ा सकता है और हेल्दी रहने के लिए इन्हें किस तरह का भोजन करना चाहिए.


 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. 


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