अक्सर कहा जाता है कि औरतों की पूरी जिंदगी किचन में ही बीत जाती है. लेकिन आजकल ज्यादातर औरतें वर्किंग हैं और वह अपनी पूरी जिंदगी किचन में नहीं बल्कि किचन के काम फटाफट निपटाकर ऑफिस रवाना होना ज्यादा पसंद करती हैं. मॉर्डन लाइफस्टाइल में टाइम मैनेजमेंट सबसे जरूरी चीज है. ऐसे में प्रायोरटी ये होती है कि उनके किचन में ऐसे किचन बर्तन रहें, जिसके जरिए कम समय में टेस्टी और अच्छा खाना पक सके. इस ख्वाइश को कुछ हद तक पूरा करते हैं नॉनस्टिक बर्तन. लेकिन क्या आपके किचन में रखे नॉस्टिक पैन, कढ़ाई या तवा चटक तो नहीं रहा है. अगर चटक रहा है, तो तुरंत उन्हें अपनी किचन से बाहर निकाल दीजिए. क्योंकि ये आपकी हेल्थ को भीतर के खोखला कर रहा है. 


नॉन-स्टिक कुकिंग पैन


देश से लेकर विदेश तक दुनिया के हर किचन में आपको नॉन-स्टिक कुकवेयर मिल जाएगी. और यह सच भी है कि ज्यादातर लोगों की यह पहली पसंद होती है. इसके पीछे का कारण यह होता है कि नॉन स्टिक पैन में खाना बर्तन में चिपकता नहीं है. इस तरह के बर्तन की सबसे अच्छी बात यह होती है कि आप धीमी आंच पर रखें या तेज आपका खाना बिल्कुल सुरक्षित रहता है और तेल भी कम लगता है. इसमें खाना बनाना इसलिए भी लोग पसंद करते हैं क्योंकि इसमें बड़ी ही सफाई के साथ खाना बनाना आसान होता है. साल 1954 में वैज्ञानिकों द्वारा पहला नॉन-स्टिक कुकिंग पैन बनाया गया. जिसके बाद यह किचन की लाइफलाइन की तरह काम करने लगी. किचन एसेंशियल में इसकी एक खास भूमिक बन गई है.


पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा यूज किया जाने वाला बर्तन 


आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया भर के लोग अपना रोजाना का खाना पकाने के लिए नॉनस्टिक बर्तन और पैन का यूज करते हैं. नॉनस्टिक के बर्तन कोटिंग पैनकेक को पलटने, सॉसेज को पलटने और अंडे फ्राई करने के लिए एकदम सही है. पैन केक, अंडा फ्राई जैसी चीजों को पकाने के लिए यह एकदम शानदार चीज है. लेकिन हमेशा से नॉनस्टिक के साथ एक विवाद भी जुड़ा रहा है. 'टेफ्लॉन, दरअसल, इस फिल्ड के एक्सपर्ट का कहना है कि नॉनस्टिक के ऊपर जिस खास चीज से कोटिंग्स की जाती है जिसकी वजह से खाना जलता नहीं है. वह टेफ्लॉन से किया जाता है.  सिर्फ इतना ही नहीं कई सोर्स ने तो दावा तक किया है कि यह कोटिंग्स जिस कैमिकल से बने होते हैं. उससे कैंसर होने का खतरा भी रहता है.


पूरी दुनिया में नॉन स्टिक के बर्तन की मांग


वहीं कुछ सोर्स या एक्सपर्ट की मानें तो नॉनस्टिक कुकवेयर के साथ खाना बनाना पूरी तरह से सुरक्षित है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कोरोना काल में नॉन-स्टिक कुकवेयर की डिमांड मार्केट में काफी ज्यादा बढ़ गई थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में साल 2020 में 20 करोड़ 61 लाख बिक्री हुई है. और ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि यह आगे जाकर और भी बढ़ेगी.


क्या कहती है रिसर्च


'साइंस ऑफ द टोटल एनवायरमेंट स्टडी' में छपी रिपोर्ट के मुताबिक,इस जर्नल के कई राइटर ने काफी रिसर्च किया है. जिसके बाद यह रिपोर्ट तैयार की है. रिसर्च के दौरान उन्होंने नॉन-स्टिक से लेकर स्टील, लकड़ी के बर्तन में खाना पकाया और उसे ऑब्जर्व किया. इस दौरान उन्होंने देखा कि नॉन-स्टिक में खाना पकाते वक्त जोकि टेफ्लॉन से पूरी तरह कोटेड है. उसमें खाना पकाने के दौरान वह 9100 प्लास्टिक के छोटे-छोटे कणों को खाना में छोड़ता है. यदि इस बर्तन की सतह गलती से भी चटक गई है या दरार पड़ गई है. तो भी आपके लिए इस बर्तन का खाना खाना खतरनाक साबित हो सकता है. चटके हुए नॉन स्टिक के बर्तन में लगभग 2 लाख तीस हजार माइक्रोप्लास्टिक्स और नैनोप्लास्टिक्स के कण आपके खाना में आकर मिल जाते हैं और जाने-अनजाने में आप प्लास्टिक खा लेते हैं. आपको पता भी नहीं चलता और यह प्लास्टिक सीधा आपके पेट में चला जाता है.


चटकते हुए नॉन-स्टिक के बर्तन में खाना बनाना क्यों है सबसे खतरनाक


टूटे हुए नॉन-स्टिक के पैन में खाना बनाना आपको कितना भारी पड़ सकता है. यह शायद ही आपने कभी सोचा होगा. इस टूटे हुए बर्तन से पॉलीफ्लोरिनेटेड  (PFAS)  नाम का कैमिकल निकलता है. यह कैमिकल इतना हार्ड होता है कि इसे आप मिट्टी, पानी, कही भी दबा दो यह सड़ता नहीं है. यह पूरी तरह से प्लास्टिक होता है. जैसे प्लास्टिक सड़ता गलता नहीं है ठीक उसी तरह यह भी जैसे का तैसा रहता है. इसी से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर यह पेट में चला जाए तो आपके पेट का क्या हाल करेगा. जानकारी के लिए बता दें कि इस कैमिकल से शरीर से जुड़ी कई बीमारी आपको हो सकती है. जैसे थायरॉयड, क्रोनिक किडनी बीमारी, लिवर की बीमारी, कैंसर शामिल हैं, इसे बांझपन और जन्म के समय कम वजन की समस्या भी हो सकती है. 


'नोट्रे डेम विश्वविद्यालय' में फिजिक्स के प्रोफेसर ग्राहम पेस्ली कहते हैं, PTFE कुकवेयर से प्लास्टिक के कणों से बचने के लिए घर के रसोइयों को किचन में ऐसे बर्तन का यूज करना चाहिए जो नुकीले नहीं बल्कि समतल हो. साथ ही एक बात का अक्सर ध्यान देना चाहिए कि खाना पकाने या खाना बनाते वक्त बर्तन की सतह पर खरोंच न आए. ग्राहम पेसली कहते हैं कि अगर बर्तन में खरोच आ गई है तो वक्त रहते उसे बदल लीजिए नहीं तो आपकी हेल्थ के लिए खतरनाक साबित हो सकता है.


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