नई दिल्लीः अगर मां या फिर बच्चे की जान को खतरा ना हो तो गर्भवती महिला 26 हफ्ते के बाद एबॉर्शन नहीं करा सकती. मुंबई में एक मामले के तहत सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला दिया है. आइये जाने क्या है पूरा माजरा.


क्या है मामला-
हाल ही में 26 हफ्ते की 37 वर्षीय प्रेग्नेंट एक महिला ने कोर्ट में एबॉर्शन करवाने की याचिका दर्ज की. महिला का कहना था कि उसकी रिपोर्ट्स में ‘डाउन सिंड्रोम’ (Down Syndrome) आया है जिससे बच्चे को फीजिकल और मेंटल प्रॉब्लम्स’ हो सकती हैं. यानि इस सिंड्रोम के चलते बच्चा आसामन्य पैदा हो सकता है.

क्या कहा कोर्ट ने-  
सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय बेंच के सहानुभूति जाहिर करते हुए महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि बच्चा मानसिक रूप से विक्षिप्त पैदा होगा ये सोचकर एबॉर्ट नहीं करवा सकते. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में भी 20 हफ्ते में एबॉर्ट करवा सकते थे लेकिन इसमें मां या बच्चे की जान को खतरा हो तभी.

इससे पहले भी आया था ऐसा मामला-
इससे पहले शीर्ष अदालत उन महिलाओं को गर्भपात की इजाजत दे चुकी है जिनकी गर्भवस्था के दौरान जान को खतरा था.

एक अन्य मामला जो कि 7 फरवरी को आया था, में सुप्रीम कोर्ट ने 22 वर्षीय महिला को 23 हफ्ते के बाद गर्भपात की परमिशन दे दी थी क्योंकि इस मामले में मां की जान को खतरा था.