चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने मातृत्व लाभ हासिल करनेवाली महिलाओं पर बड़ा फैसला दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि महिला अगर पहली डिलीवरी में जुड़वां बच्चों को जन्म देती है तो उसे दूसरी डिलीवरी में मातृत्व लाभ नहीं मिलेगा. कोर्ट के नजदीक दूसरी डिलीवरी में जन्मा बच्चा तीसरा बच्चा माना जाएगा.


मातृत्व लाभ को लेकर हाईकोर्ट का अहम फैसला
मद्रास हाईकोर्ट ने सिंगल जज के फैसले को पलटते हुए CISF महिला को राहत देने से इंकार कर दिया. सिंगल जज ने अपने फैसले में तमिलनाडु सरकार के नियमों के मुताबिक CISF महिला को 180 दिन का मातृत्व अवकाश और अन्य सुविधा देने का आदेश दिया था. मगर चीफ जस्टिस अमरेश्वर प्रताप शाही और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने 2019 के एकलपीठ के फैसले को पलट दिया.


बेंच ने अपने फैसले में कहा, "अगर कामकाजी महिला दूसरी डिलीवरी में किसी बच्चे को जन्म देती है जबकि उसकी पहली डिलीवरी में जुड़वां बच्चे हो चुके हैं तो ऐसी सूरत में दूसरी डिलीवरी से पैदा हुए बच्चे को तीसरा बच्चा माना जाएगा. इसलिए महिला मातृत्व लाभ का हकदार नहीं होगी."


पहली डिलीवरी में जुड़वां तो दूसरी डिलीवरी में नहीं मिलेगा लाभ


बेंच ने वर्तमान नियमों का हवाला देते हुए बताया कि महिला अपनी सिर्फ पहली दो डिलीवरी के दौरान ही मातृत्व लाभ उठा सकती है. चीफ जस्टिस अमरेश्वर प्रताप साही और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि जुड़वां, 3 बच्चे या 4 बच्चे पहली डिलिवरी में होते हैं तो अगली डिलिवरी में मातृत्व अवकाश सह वेतन का लाभ नहीं मिलेगा.


कोर्ट ने तर्क देते हुए कहा कि ऐसे लाभ को सीमित रखने का फैसला बच्चों की संख्या पर निर्भर करता है. इसलिए याचिकाकर्ता अपने मातृत्व लाभ की दावेदार उसी सूरत में होगी जब उसे दो से ज्यादा बच्चे ना हों. मगर वर्तमान हालत में महिला के राहत की प्रकृति बिल्कुल बदल जाती है. बेंच ने एकलीठ के फैसले पर टिप्णी करते हुए कहा कि सिंगल जज ने इस पहलू को नजरअंदाज किया.


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