Ovarian Cancer Causes : ओवेरियन कैंसर महिलाओं में होने वाले सबसे खतरनाक कैंसर में से एक है. दुनियाभर में हर साल करीब 1,75 लाख औरतों की मौत इसके कारण होती है. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 दुनिया में ओवरियन कैंसर से 184,799 महिलाओं की मौत हो गई थी.  इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की 2019 की रिपोर्ट बताती है कि ओवेरियन कैंसर भारतीय महिलाओं में होने वाला तीसरा सबसे बड़ा कैंसर है.


ICMR के अनुसार, भारत में हर एक लाख महिलाओं पर करीब 6.8 महिलाएं इस कैंसर की चपेट में आती हैं. इसका खतरा 35 साल की उम्र में बढ़ता है और 55-64 साल तक खतरनाक हो जाता है.आइए जानते हैं यह कैंसर क्या है, कितना खतरनाक है और इसका मुख्य कारण क्या है...




ओवेरियन कैंसर कितना खतरनाक




ओवेरियन कैंसर (Ovarian Cancer) महिलाओं की अंडाशय (Ovary) में होता है, जो रिप्रोडक्टिव अंग है. इसी में एग्स यानी अंडे बनते हैं. ये अंडे फैलोपियन ट्यूब्स से गर्भाशय (Uterus) में जाते हैं, जहां फर्टिलाइल्ड एग भ्रूण में विकसित होता है. अंडाशय में किसी तरह का कैंसर ही ओवेरियन कैंसर होता है. यह ज्यादातर यूट्रस की बाहरी परत से पैदा होता है.




ओवेरियन कैंसर का पता लगाना काफी मुश्किल होता है. ओवेरियन कैंसर के बाद महिला का कंसीव कर पाना ही बताता है कि उसका कैंसर किस स्टेज पर है. हालांकि, अब साइंटिस्ट ने इसका कारण ढूंढ निकाला है, जिससे इसका आसानी से पता चल सकता है.


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समय रहते पता चल जाएगा ओवेरियन कैंसर




नेचर कम्युनिकेशंस में पब्लिश एक स्टडी में फैलोपियन ट्यूब में एक खास तरह की कोशिका की पहचान की गई है, जो विशेष रूप से हाई-ग्रेड सीरस कार्सिनोमा (HGSC) विकसित करने के लिए प्रोन है, जो डिम्बग्रंथि (Ovarian) के कैंसर का सबसे खतरनाक रूप है. ओरियन कैंसर महिलाओं में कैंसर से मौतों का छठा सबसे बड़ा कारण है, जिसमें ज्यादातर मरीज कैंसर का पता लगने के बाद 5 साल से कम समय तक ही जिंदा रहते हैं. यह इसलिए ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि शुरुआती चरणों में कोई लक्षण नहीं होते हैं और शुरुआती पहचान के लिए कोई टेस्ट भी नहीं है.




ओवेरियन कैंसर को लेकर बड़ी खोज




साइंटिस्ट को लंबे समय से शंका है कि HGSC अंडाशय के बजाय फैलोपियन ट्यूब में शुरू होता है, लेकिन सटीक जानकारी अब तक पता नहीं चल पाई है. कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के वेटरनरी कॉलेज के डॉ. एलेक्जेंडर निकितिन के नेतृत्व में रिसर्च टीम ने पाया कि फैलोपियन ट्यूब में कोशिकाओं का एक खास ग्रुप, जिसे प्री-सिलियेटेड ट्यूबल एपिथेलियल कोशिकाएं कहा जाता है, कैंसर को बढ़ावा देने के लिए अतिसंवेदनशील होती हैं.


ये कोशिकाएं स्टेम कोशिकाओं और पूरी तरह से विकसित सिलियेटेड कोशिकाओं के बीच मध्यस्थ के तौर पर काम करती है, जो फैलोपियन ट्यूब से लिक्विड और अंडों को ले जाने में मदद करती हैं. इस अध्ययन में पाया गया कि जब प्रमुख ट्यूमर-दबाने वाले जीन बंद हो जाते हैं तो स्टेम कोशिकाएं खुद कैंसर नहीं बनती हैं. इसकी बजाय, प्री-सिलियेटेड कोशिकाएं, जो स्टेम कोशिकाओं से पूरी तरह से विकसित सिलियेटेड कोशिकाओं में इंफेक्शन का खतरा बढ़ाती हैं.




ओवेरियन कैंसर कैसे होता है




कैंसर कैसे बनता है, इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए शोधकर्ताओं ने जेनेटिक  तौर पर चूहों पर अध्ययन किया. ह्यूमन HGSC मामलों में, दो जीनों में म्यूटेशन TP53 और RB1 ज्यादातर मामलों में होते हैं. ये जीन कोशिकाओं को कैंसर बनने से रोकने में मदद करते हैं, इसलिए जब उन्हें डिएक्टिवेट किया जाता है, तो कोशिकाओं के कैंसर बनने की आशंका ज्यादा होती है. स्टडी में साइंटिस्ट्स ने फैलोपियन ट्यूब में अलग तरह की कोशिकाओं में Trp53 और Rb1 को शांत किया..


उन्होंने पाया कि जब स्टेम कोशिकाओं ने इन ट्यूमर-दबाने वाले जीन को खो दिया, तो वे कैंसर कोशिकाओं में बदलने के बजाय मर गए. जब प्री-सिलियेटेड ट्रांडिशनल कोशिकाओं ने इन जीनों को खो दिया, तो वे कैंसर बन गए, जिससे HGSC का ग्रोथ हुआ. इस खोज से पता चलता है कि प्री-सिलियेटेड कोशिकाएँ फैलोपियन ट्यूब में मुख्य कारण हैं,  जहां यह खतरनाक कैंसर पैदा होता है.




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