कोरोना वायरस से फैली महामारी के नुकसान का खुलासा आए दिन हो रहा है. इसका नकारात्मक प्रभाव बड़े पैमाने पर हुआ है. शारीरिक, मानसिक, आर्थिक और सामाजिक पहलू का कोई हिस्सा अछूता नहीं रहा. अब रिसर्च से खुलासा हुआ है कि तनाव और चिंता में चौंका देनेवाली बढ़ोतरी हुई है, जिससे बुरी तरह युवा और महिलाएं खास तौर पर प्रभावित हुए.


चिंता और तनाव पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा


लांसैट में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक महामारी के कारण अतिरिक्त 5 करोड़ 30 लाख प्रमुख अवसाद के विकार और 7 करोड़ 60 लाख चिंता विकार के मामले थे. शोधकर्ताओं का कहना है की पिछले साल महामारी से बुरी तरह प्रभावित देशों में प्रमुख अवसाद विकार और चिंता विकार के मामलों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई. उन्होंने सरकारों और नीति निर्धारकों से दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य ढांचे को मजबूत करने की अपील की है ताकि महामारी के कारण बढ़ी मांग पूरी की जा सके.


उन्होंने चेताया कि कोविड-19 के कारण मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की अतिरिक्त मांग को पूरा करना चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं करना विकल्प नहीं होना चाहिए. उनका कहना है कि प्रमुख अवसाद और चिंता विकार पर महामारी के वैश्विक प्रभावों का मूल्यांकन करनेवाली पहली रिसर्च है. रिसर्च के मुताबिक पिछले साल बुरी तरह प्रभावित देशों में इन परेशानियों की मौजूदगी में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी थी.


कोविड महामारी ने मानसिक सेहत को किया प्रभावित


मॉडल के अनुमान से संकेत मिलता है कि अगर महामारी न आई होती तो 2020 में एक लाख की आबादी पर 3,825 चिंता विकार के 298 मिलियन मामले होते, लेकिन महामारी के दौरान एक लाख की आबादी पर 4,802 चिंता विकार के 374 मामले थे, जो 26 फीसद की बढ़ोतरी यानी अतिरिक्त 76 मिलियन मामले हैं. रिसर्च में बताया गया कि करीब 52 मिलियन अतिरिक्त मामले महलाओं में पाए गए जबकि पुरुषों में 24 मिलियन.


शोधकर्ताओं के मुताबिक दुख की बात है कि कई कारणों से महामारी के सामाजिक और आर्थिक नतीजों से महिलाओं को अधिक प्रभावित होने की संभावना थी क्योंकि उनको ज्यादा देखभाल और पारिवारिक जिम्मेदारियों का बोझ अक्सर उठाना पड़ता है. कोरोना काल में बड़ी उम्र के लोगों की तुलना में प्रमुख अवसाद और चिंता विकार से ज्यादा प्रभावित होनेवाले युवा थे. 


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