हाल ही में एक शोध में पता चला है कि जिन मरीजों का इलाज महिला डॉक्टरों ने किया, उनकी जान बचने की संभावना ज्यादा थी और उन्हें दोबारा अस्पताल ले जाने की जरूरत कम पड़ी. यह शोध 'एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन' जर्नल में प्रकाशित हुआ है. 


जानें क्या कहता है रिसर्च
टोक्यो यूनिवर्सिटी, जापान के शोधकर्ताओं ने 700,000 से अधिक मेडिकेयर मरीजों के डेटा का विश्लेषण किया, जिन्हें 2016 से 2019 के बीच इलाज की जरूरत पड़ी. जो 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के थे और वर्ष 2016 से 2019 के बीच अस्पताल में भर्ती थे. इस अध्ययन में शामिल करीब 460,000 महिला और 320,000 पुरुष मरीजों में से एक तिहाई का इलाज महिला डॉक्टरों ने किया था.  इस अध्ययन में देखा गया कि महिला और पुरुष मरीजों में से जिनका इलाज महिला डॉक्टरों ने किया, उनकी मृत्यु दर कम थी. 


खर्च में कोई अंतर नहीं 
जब अस्पताल की देखभाल की गुणवत्ता की बात आती है, तो अस्पताल में बिताए गए समय, इलाज पर हुए खर्च, और मरीजों को उनके घर भेजने की संभावना जैसे मुख्य मानकों पर ध्यान दिया जाता है. लेकिन इस शोध में यह पाया गया कि चाहे इलाज महिला डॉक्टरों ने किया हो या पुरुष डॉक्टरों ने, इन मानकों में किसी तरह का कोई खास अंतर नहीं था. यानी कि दोनों ही मामलों में इलाज का समय, खर्च और घर जाने की स्थिति लगभग समान रही. 


महिला मरीजों को फायदे
खासकर महिला मरीजों के लिए, यह अध्ययन बताता है कि महिला डॉक्टरों से इलाज करवाने पर उन्हें ज्यादा फायदा होता है. महिला डॉक्टर अपने मरीजों के साथ अच्छे से बातचीत कर पाती हैं और उनका ध्यान रखने में ज्यादा सावधान रहती हैं. इससे महिला मरीज ज्यादा सहज महसूस करती हैं और अपनी समस्याएं आसानी से बता पाती हैं.


जानें जरूर बात
यह रिसर्च यह भी दिखाती है कि अगर महिला डॉक्टरों की संख्या बढ़े तो यह हमारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ला सकती है. इसलिए, महिलाओं को डॉक्टर बनने के लिए और अधिक प्रोत्साहन देना चाहिए.  इससे ना सिर्फ महिला मरीजों को लाभ होगा, बल्कि हमारी स्वास्थ्य सेवाओं में भी समानता बढ़ेगी. 


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