क्या सिजेरियन के मुकाबले नॉर्मल डिलीवरी में होता है ज्यादा रिस्क? ये रहा जवाब
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, नॉर्मल या सिजेरियन दोनों तरह की डिलीवरी के अपने फायदे और नुकसान हैं. यह प्रेगनेंसी की कंडीशन पर निर्भर करता है कि दोनों में से किस तरह की डिलीवरी बेहतर हो सकती है.
Cesarean vs Normal Delivery : डिलीवरी के वक्त कॉम्पिलीकेशंस होने पर सिजेरियन यानी C-सेक्शन डिलीवरी की मदद ली जाती है. देश में सिजेरियन डिलीवरी (Cesarean Delivery) कराने वाली महिलाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है. रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले कुछ सालों में देश में सिजेरियन डिलीवरी में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है. भारत के प्राइवेट अस्पतालों में हर दो में से एक डिलीवरी सी-सेक्शन से ही हो रही है, जबकि देश में हर पांच में से एक महिला सिजेरियन डिलीवरी से बच्चे को जन्म दे रही है.
WHO की गाइडलाइंस कहती है कि सिजेरियन डिलीवरी की दर 15% से ज्यादा नहीं हनी चाहिए. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नॉर्मल डिलीवरी में सिजेरियन की तुलना में ज्यादा रिस्क होता है, जिससे अस्पताल या ज्यादातर महिलाएं सिजेरियन डिलीवरी ही कराना चाह रही हैं.
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सिजेरियन और नॉर्मल कौन सी डिलीवरी खतरनाक
1. सी सेक्शन और नॉर्मल डिलीवरी प्रेगनेंट महिला की कंडीशन देखकर डॉक्टर्स चुनते हैं.
2. सिजेरियन में मां के पेट और गर्भाशय में चीरा लगाकर बच्चे का जन्म कराया जाता है, जबकि नॉर्मल डिलीवरी में जन्म बर्थ कैनाल के जरिए होता है.
3. सिजेरियन पहले से प्लांड होता है, जबकि नॉर्मल डिलीवरी अचानक से लेबर पेन के शुरू होने के बाद की जाती है.
4. सिरेजरियन डिलीवरी को ठीक होने में 6-8 हफ्ते का वक्त सगता है, जबकि नॉर्मल डिलीवरी में 6 हफ्ते में ही रिकवरी हो जाती है.
5. सिजेरियन में दर्द नहीं होता है, जबकि नॉर्मल डिलीवरी काफी दर्दनाक होती है.
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नॉर्मल डिलीवरी कब हो सकती है रिस्की
गायनोलॉजिस्ट्स के अनुसार, सी सेक्शन से डिलीवरी ऐसे लोगों के लिए अच्छा ऑप्शन होता है, जो एक से ज्यादा बच्चे करना चाहते हैं. यह तब होता है, जब बच्चा ब्रीच पोजीशन में होया गर्भवती डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या एक्टिव हर्पिस जैसी कंडीशन से गुजर रही है. ऐसी कंडीशन में नॉर्मल बर्थ रिस्की हो सकता है. प्लेसेंडा प्रीविया की समस्या होने पर भी नॉर्मल डिलीवरी खतरनाक हो सकती है.
क्या नॉर्मल डिलीवरी में ज्यादा रिस्क होते हैं
कई रिसर्च में बताया गया है कि नॉर्मल या नेचुरल डिलीवरी कम रिस्की होता है. इसमें पोस्टपार्टम इंफेक्शन की आशंका काफी कम हो जाती है. डिलीवरी के बाद मां की रिकवरी में सिर्फ 6 हफ्ते का वक्त लगता है. इसके अलावा नेचुरल बर्थ मां, शिशु और फैमिली को काफी अच्छी फीलिंग होती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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