Petticoat Cancer : महिलाओं में होने वाले सबसे कॉमन कैंसर ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल कैंसर के बारें में तो आपने जरूर सुना होगा लेकिन क्या आप साड़ी और पेटीकोट कैंसर को भी जानते हैं. जी हां, अब महिलाएं जो साड़ी और पेटीकोट पहनती हैं, उससे भी कैंसर हो रहा है. इसका खुलासा एक स्टडी में हुआ है. भारत में दो महिलाओं में 'पेटीकोट कैंसर' (Petticoat Cancer) पाया गया है.
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) केस रिपोर्ट्स में पब्लिश स्टडी में बताया गया है कि ये कैंसर साड़ी के अंडरस्कर्ट या पेटीकोट को कमर पर बहुत कसकर बांधने से हो रहा है. डॉक्टरों का कहना है कि पेटीकोट का नाड़ा टाइटली बांधने से लगातार दबाव बना रहता है. इससे स्किन और कपड़े के बीच लंबे समय तक फ्रिक्शन होता रहता है, जो जलन का कारण बन सकता है. इस जलन से अल्सर भी हो सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं आखिर ये पेटीकोट कैंसर क्या है, कैसे होता है, इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए...
पेटीकोट कैंसर क्या होता है
पेटीकोट कैंसरको मार्जोलिन अल्सर भी कहते हैं, जो एक तरह का स्किन कैंसर (Skin Cancer) है. इसका खतरा उन महिलाओं में कमर के आसपास ज्यादा रहता है, जो कसकर बंधी साड़ी या पेटीकोट पहनती हैं. इससे उनकी त्वचा पर लंबे समय तक घर्षण और दबाव रहता है. यह त्वचा कैंसर का दुर्लभ रूप है, जो सिर्फ साड़ी पहनने वाली महिलाओं को ही नहीं बल्कि उन पुरुषों को भी हो सकता है, जो पारंपरिक भारतीय परिधान, जैसे धोती लंबे समय तक पहनते हैं. 2014 के एक स्टडी के अनुसार, त्वचा पर लालिमा, स्केलिंग और अल्सरेशन का खतरा रहता है, जो बाद में कैंसर का रूप ले सकता है.
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पेटीकोट कैंसर का कारण
स्टेटपर्ल्स पब्लिशिंग, मार्जोलिन अल्सर, साड़ी के अंडरस्कर्ट या पेटीकोट को कसकर बांधना.
जलने के निशान
दर्दनाक घाव
दबाव के घाव
शिरापरक अल्सर
हाइड्रैडेनाइटिस सपुराटिवा
पेटीकोट कैंसर के क्या लक्षण
1. कमर के आसपास की त्वचा का हाइपरपिग्मेंटेशन यानी काला पड़ जाना
2. त्वचा का मोटा हो जाना
3. त्वचा पर खुरदरे या पपड़ीदार धब्बे
4. स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा का बढ़ना
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क्या पेटीकोट कैंसर का इलाज संभव है
रिसर्स के अनुसार, इस तरह का स्किन कैंसर किसी को भी हो सकता है. कैंसर को विकसित होने में आमतौर पर 30-35 साल का वक्त लग जाता है, वहीं इसके इलाज का समय 59 सालतक है. पुरुषों की तुलना में ये कैंसर महिलाओं को ज्यादा प्रभावित करता है.
पेटीकोट कैंसर को रोकने के उपाय
1. टाइट पैंट या कमरबंद न पहनें.
2. साड़ी की गांठ को बदलते रहें.
3. पजामा के लिए सॉफ्ट, हवादार कपड़े चुनें.
4. कमर वाले हिस्से की साफ-सफाई रखें.
5. कमर और त्वचा पर ध्यान दें.
6. कोशिश करें कि कपड़े ढीले ही पहनें
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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