Pregnancy Test : प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए ज्यादातर महिलाएं यूरीन टेस्ट करती हैं. यह टेस्ट काफी आसान होता है. इसे घर पर ही किया जा सकता है. हालांकि, कई बार इस टेस्ट के रिजल्ट ज्यादा स्पष्ट नहीं होते हैं, जिसका बाद गायनोलॉजिस्ट की मदद ली जाती है. आप कब तक मां बन सकती हैं यानी प्रेगनेंसी कंफर्मेशन के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट करते हैं. इस टेस्ट में ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (HCG) के लेवल की जांच की जाती है. आइए जानते हैं आखिर क्या है यह टेस्ट और यह कैसे बता देता है कि कब तक कोई महिला मां बन सकती है...

 

प्रेगनेंसी के लिए ब्लड टेस्ट

डॉक्टर्स के अनुसार, प्रेगनेंसी के बाद महिलाओं के प्लेसेंटा से एचसीजी हार्मोन बनता है. डॉक्टर ब्लड और यूरीन में एचसीजी लेवल की जांच करते हैं. मतलब इस ब्लड टेस्ट से ब्लड में एचसीजी हार्मोन की जांच की जाती है,जो दो तरह की होती है. पहली क्वालिटेटिव एचसीजी टेस्ट , दूसरी- क्वांटीटेटिव एचसीजी टेस्ट.

 

1. क्वालिटेटिव एचसीजी टेस्ट 

क्वालिटेटिव एचसीजी टेस्ट (Qualitative HCG Test) में ब्लड में एचसीजी की मौजूदगी पॉजिटिव और निगेटिव रिजल्ट से पता चलता है. इसके आधार पर पता लगााया जाता है कि कोई महिला प्रेगनेंट है या नहीं. इस आधार पर डॉक्टर उसे सलाह देते हैं.

 

2. क्वांटीटेटिव एचसीजी टेस्ट

इस टेस्ट (Quantitative HCG Test) ब्लड में एचसीजी की मात्रा का पता लगाती है. इससे महिलाओं के गर्भ में पलने वाले भ्रूण के समय यानी उम्र को तय करने में मदद मिलती है. इस टेस्ट से महिलाओं की प्रेगनेंसी में आने वाली परेशानियों को पता लगाया जाता है. इस टेस्ट से मिसकैरेज और एक्टोपिक प्रेगनेंसी का भी पता लग जाता है. इस ब्लड टेस्ट को बीटा एचसीजी ब्लड टेस्ट, रिपीट क्वांटिटेटिव बीटा एचसीजी टेस्ट, क्वांटीटेटिव सीरियल बीटा एचसीजी टेस्ट भी कहते हैं. एचसीजी ब्लड टेस्ट प्रेगनेंसी के 6-8 दिनों के बाद किया जा सकता है.

 

एचसीजी टेस्ट क्यों कराना चाहिए

1. एचसीजी टेस्ट से प्रेगनेंसी का पता चलता है.

2.  इससे पता चलता है कि बच्चा कब पैदा होगा यानी भ्रूण के उम्र का पता चलता है.

3. बच्चा कितने महीने का है इसका अनुमान

4. डाउन सिंड्रोम की पहचान

5. मोलर प्रेगनेंसी और एटोपिक प्रेगनेंसी जैसी समस्याओं की जांच

6. मिसकैरेज का रिस्क पहचानने में.

7. ओवरी कैंसर की जांच के लिए.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.



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