World AIDS Day: 1 दिसंबर को दुनिया भर में 'विश्व एड्स दिवस' (World Aids Day) मनाया जाता है. इस दिन लोगों को एड्स के बारे में जागरूक और इससे बचने के उपायों के बारे में जानकारी दी जाती है. एड्स की बीमारी एचआईवी यानी ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (Human immunodeficiency virus) की वजह से होती है. 1995 में अमेरिका के राष्ट्रपति ने विश्व एड्स दिवस के लिए एक आधिकारिक घोषणा की थी जिसके बाद से दुनियाभर में लगातार हार साल 1 दिसंबर को एड्स दिवस मनाया जाता है.


एड्स एक ऐसी बीमारी है जिससे व्यक्ति का इम्यून सिस्टम बुरी तरीके से प्रभावित होता है जिससे वह अन्य संक्रमण से लड़ने में असमर्थ हो जाता है. कई साल बीत जाने के बावजूद भी अभी तक इसका कोई इलाज या वैक्सीन नहीं मिली है जिससे ये बीमारी खत्म हो सके. जब भी एड्स की बात आती है तो लोगों के मन में ये सवाल आता है कि एड्स और एचआईवी में क्या फर्क है? क्या ये दोनों एक ही हैं या दोनों अलग-अलग बीमारी है. जानिए इस बारे में-


सबसे पहले एड्स और एचआईवी की फुल फॉर्म जानिए 


एड्स (AIDS)-  एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिशिएंसी सिंड्रोम
एचआईवी (HIV)- ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस



अब समझिये HIV क्या है


 एचआईवी यानी ह्युमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस एक ऐसा वायरस है जो शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम को बुरी तरीके से प्रभावित करता है. जैसे ही ये वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है तो ये सीधे वाइट ब्लड सेल्स को टारगेट करता है जिसके बाद व्यक्ति को कोई संक्रमण या बीमारी से उबरने में ज्यादा समय लगता है या उसके लिए ये कठिन हो जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये वायरस इम्यूनिटी सिस्टम को बुरी तरीके से प्रभावित करता है और फिर शरीर की क्षमता संक्रमण से लड़ने के खिलाफ कम हो जाती है. डॉक्टर बताते हैं कि एचआईवी से संक्रमित मरीज को कोई बीमारी होने पर उसे ठीक करने में सामान्य से 10 गुना ज्यादा समय लगता है.


सरल शब्दों में आप इसे ऐसे समझ लीजिए कि एचआईवी एक तरीके का वायरस है जो शरीर में प्रवेश करते ही इम्यूनिटी सिस्टम को कमजोर कर देता है.


अब जानिए एड्स क्या है


एड्स एचआईवी का एडवांस स्टेज है. यानी एड्स की बीमारी एचआईवी वायरस की वजह से होती है. लंबे समय से जब व्यक्ति एचआईवी वायरस से संक्रमित रहता है तो इससे एड्स का खतरा बढ़ जाता है.


सरल शब्दों में इसे आप ऐसे समझिए कि जब किसी व्यक्ति के शरीर में एचआईवी वायरस प्रवेश कर जाता है और लंबे समय तक उसका इलाज नहीं किया जाए तो फिर एड्स की बीमारी हो जाती है. एड्स एचआईवी की लेटर स्टेज है. यानी एचआईवी के बाद ही व्यक्ति को एड्स होता है. हालांकि ऐसा जरूरी नहीं है कि एचआईवी पॉजिटिव मरीज को एड्स हो. अगर व्यक्ति सही समय पर इलाज करें तो एड्स से बचा भी जा सकता है.



एचआईवी और एड्स के लक्षण जानिए


एचआईवी के लक्षण


 जिस व्यक्ति के शरीर में एचआईवी वायरस प्रवेश कर जाता है तो वह फ्लू से पीड़ित रहता है. व्यक्ति को थकान, सर दर्द, बुखार, रात में पसीना, गर्दन, कमर लिंफ नोड्स में दर्द होता है. HIV के लक्षण इतने सामान्य से होते हैं कि व्यक्ति इन्हें नहीं समझ पाता. 


एड्स के लक्षण


अचानक वजन कम हो जाना, रात में पसीना आना, निमोनिया, बिना कारण के थकान महसूस होना, बार-बार बुखार आना, याददाश्त में कमी, नाक-मुंह पर धब्बे आदि एड्स के लक्षण है.


डॉक्टर्स का कहना है कि यदि किसी व्यक्ति के शरीर में एचआईवी एड्स का वायरस है तो वह बिना दवाइयों के करीब 3 साल तक जिंदा रह सकता है. लेकिन, यदि उसे एचआईवी एड्स के कारण अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो रही हैं तो इलाज के बिना वह 1 साल से भी कम समय तक जी पाएगा.



क्या है फिर इलाज  


इस वक़्त HIV का कोई पुख्ता इलाज नहीं है. केवल कुछ दवाइयों के जरिये व्यक्ति के इम्यूनिटी सिस्टम को मजबूत किया जाता है जिससे वह संक्रमण से लड़ सके.


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