नई दिल्ली: आज दुनिया भर में विश्व एड्स दिवस मनाया जा रहा है. एड्स का पूरा नाम 'एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम' है. साल 2018 के एड्स दिवस की थीम 'अपनी स्थिती जानें' रखी गई है. इसका मकसद हर इंसान में अपने एचआईवी स्टेटस के बारे में जागरूकता लाना है. सबसे पहले विश्व एड्स दिवस 1987 में जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेटर ने मनाया था. इन दोनों ने ग्लोबल प्रोग्राम ऑन एड्स के डायरेक्टर जोनाथन मान को विश्व एड्स मामने का सुझाव दिया, जिसके बाद 1 दिसंबर 1988 से विश्व एड्स दिवस मनाया जाने लगा. कुछ वक्त पहले यूनियेफ ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि दुनिया भर में 36.9 मिलियन लोग HIV से प्रभावित हो चुके हैं.
आमतौर पर एच.आई.वी और एड्स को एक ही माना जाता है. लेकिन ये दोनों दो अलग-अलग चीजे हैं. एच.आई.वी, H1N1 की तरह ही एक विषाणु है, जैसे H1N1 से स्वाइन फ्लू होता है उसी तरह एच.आई.वी से एड्स होता है. साथ ही इसके बारे में यह माना जाता है कि ये कोई बीमारी है लेकिन एड्स खुद में कोई बीमारी नहीं है, बल्कि इसकी वजह से शरीर की प्राकृतिक रोग प्रतिरोधी क्षमता धीरे-धीरे खत्म होने लगती है. जिससे शरीर सर्दी जुकाम से लेकर क्षय रोग जैसी कई बीमारियों की चपेट में आ जाता है. यह प्रकिया इतने धीमे होती है कि बहुत बार इसके लक्षण प्रकट होने में 10 साल तक का वक्त लग जाता है.
एड्स के लक्षण
1 अगर किसी इंसान को लंबे वक्त तक बुखार बना रहता है और इम्यून पावर लगातार कमजोर होता जा रहा है तो हो सकता है ये एड्स के शुरुआती लक्षण हों.
2 एड्स की वजह से इम्यून पावर कमजोर हो जाता है जिससे लगातार थकान बनी रहती है.
3 एड्स की वजह से शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता कम हो जाती है जिससे कई बीमारियां शरीर को घेर लेती हैं और तेजी से वजन घटने लगता है.
4 एड्स की वजह से रात को सोते वक्त पसीना बहुत ज्यादा मात्रा में निकलता है.
5 एड्स के कारण याददाश्त क्षमता पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है.
6 एक हफ्ते से ज्यादा वक्त तक दस्त की समस्या बने रहने पर भी एड्स की समस्या हो सकती है
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एड्स के प्रमुख कारण
1. सामान्यत माना जाता है कि एड्स सिर्फ असुरक्षित यौन संबंधों के कारण होता है. लेकिन यौन संबंधों के अलावा और भी ऐसे बहुत सी वजह हैं जिनकी वजहों से एड्स के फैलने का खतरा रहता है.
2. ओरल सेक्स- सिर्फ अनसेफ सेक्स ही नहीं बल्कि आरेल सेक्स करने से भी एड्स हो सकता है. बहुत से लोग सोचते हैं कि एड्स सिर्फ इंटरकोर्स करने से होता है. लेकिन आपको बता दें, एड्स पीडि़त व्यक्ति के साथ ओरल सेक्स करने से भी एचआईवी होने का खतरा रहता है.
3. किसिंग- ओरल सेक्स की तरह की किस (स्मूच) करने से भी एड्स हो सकता है. दरअसल, स्मूच के दौरान एक-दूसरे के स्लाइवा एक्सचेंज होते हैं जिससे की एड्स होने का खतरा बढ़ जाता है.
4 .अनहाइजीन मेडिकल टूल्स- मेडिकल टूल्स जैसे नीडल्स का इस्तेमाल, सर्जिकल नाइफ्स का इस्तेमाल, डेंटल टूल इन सबका इस्तेमाल अगर इंफेक्टेड पेशेंट पर किया गया है और इन टूल्स का इस्तेमाल बाद में दूसरे व्यक्ति पर भी किया जाए तो एड्स होने होने की आशंका बढ़ जाती है.
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5. टैटू - जब भी आप टैटू बनवाने जाएं तो ये सुनिश्चित कर लें कि टैटू आर्टिस्ट जो भी नीडल इस्तेमाल कर रहा है वो नया हो. हो सकता है कि पुरानी नीडल से एड्स पेशेंट का टैटू बनवाने के लिए इस्तेमाल हुई हो. पियसिंग करवाते हुए भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए.
6. रेजर शेयरिंग- किसी दूसरे का रेजर शेयर करने में भी ये दिक्कत आ सकती है. रेजर, टूथब्रश या इस तरह की चीजें किसी इन्फेक्टेड पर्सन की यूज करने से बचना चाहिए.
7. मच्छर- जिस तरह से मच्छर डेंगू-चिकनगुनिया फैलाते हैं वैसे ही मच्छर एड्स भी फैला सकते हैं. अगर किसी इंफेक्टिड पर्सन को मच्छर काट ले और फिर हेल्दी व्यक्ति को वही मच्छर काटे तो भी एड्स होने की आशंका बढ़ जाती है.
8. मां से बच्चे में हस्तांतरण- अगर कोई औरत गर्भवती है और एड्स से पीड़ित है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि होने वाली संतान में भी ये बीमारी जन्मजात होगी ही.
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