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World Asthma Day 2024: अस्थमा की वजह से हर साल हो जाती है 2 लाख से ज्यादा मौत, जानें कारण और बचाव
आंकड़ें बताते हैं कि दुनिया में अस्थमा से होने वाली मौतों में सिर्फ भारत में ही संख्या 46 परसेंट के आसपास है यानी देश में हर साल दो लाख के करीब लोगों की मौत सिर्फ अस्थमा की वजह से हो जाती है.
World Asthma Day 2024: अस्थमा एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है, जो फेफड़ों में होती है. इसमें शरीर के वायुमार्ग के आसपास सूजन और मांसपेशियों में जकड़न हो जाती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है. इसका खतरा हर उम्र के लोगों में होता है. यही कारण है कि हेल्थ एक्सपर्ट्स वातावरण की कई परिस्थितियों में अस्थमा मरीजों को सावधान रहने की सलाह देते हैं, क्योंकि ये अस्थमा की समस्या को बढ़ा सकते हैं. आंकड़ें बताते हैं कि दुनिया में अस्थमा से होने वाली मौतों में सिर्फ भारत में ही संख्या 46 परसेंट के आसपास है. इसी की जागरूकता और सावधानी के लिए दुनिया में हर साल 7 मई को अस्थमा डे (World Asthma Day 2024) मनाया जाता है.
भारत में अस्थमा का खतरा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, देश में हर साल अस्थमा की वजह से 2 लाख से ज्यादा मरीजों की मौत हो जाती है. ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2021 रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में अस्थमा काफी तेजी से फैल रहा है. अगर सही समय पर इसकी पहचान हो जाए तो इसके खतरों को कम किया जा सकता है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत में इस बीमारी की सही समय पर जानकारी न लग पाने की वजह से ज्यादातर मौतें होती हैं. समय पर इसका इलाज न होने पर कई दूसरी गंभीर बीमारियों का खतरा भी देखा जाता है.
अस्थमा है या नहीं, कैसे पता करें
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हर इंसान में अस्थमा के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं. धूल या छोटे-छोटे कणों के संपर्क में आने या कुछ अन्य वजहों से अस्थमा ट्रिगर कर सकता है. अस्थमा के लक्षणें में सबसे प्रमुख, सांस लेने में दिक्कत होना, सीने में जकड़न या दर्द, सांस छोड़ते समय घरघराहट की आवाज आना है. वहीं, बच्चों में अस्थमा के लक्षणों में सांस लेने में समस्या, खांसी या घरघराहट की आवाज होता है.
अस्थमा क्यों खतरनाक
डॉक्टर के अनुसार, कई गंभीर स्थितियों में अस्थमा का अटैक खतरनाक हो सकता है. ऐसे में इमरजेंसी इलाज की जरूरत होती है, वरना जान भी जा सकती है. इनमें अगर सांस लेने में तकलीफ या घरघराहट की समस्या बढ़ रही है तो तुरंत डॉक्टर के पास मरीज को लेकर जाना चाहिए. वहीं, इन्हेलर के इस्तेमाल से भी अगर सुधार नहीं हो रहा है तो भी स्थिति खतरनाक हो सकती है. इसके साथ ही फिजिकल एक्टिविटी न होने के बावजूद भी सांस फूल तो सावधान हो जाना चाहिए.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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प्रशांत कुमार मिश्र, राजनीतिक विश्लेषक
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