वर्ल्ड ऑटिज्म डे: कहीं आपके बच्चे को ऑटिज्म तो नहीं! जानें क्या हैं इसके लक्षण
वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयनेस डे: जानिए, कैसे पहचानें आपके बच्चे को ऑटिज्म है या नहीं. आज ऑटिज्म डे के मौके पर हम आपको बता रहे हैं ऑटिज्म के लक्षण और अन्य बातों के बारे में.
नई दिल्लीः क्या आपका बच्चा किसी भी बात पर रिएक्ट नहीं करता? क्या आपका बच्चा कोई भी बात दो से अधिक बार दोहराता है? क्या आपका बच्चा बहुत ज्यादा सेल्फ सेंटर्ड रहता है? क्या आपके बच्चे को कोई भी बात एक बार में समझ नहीं आती? अगर आपके जवाब हां हैं, तो हो सकता है कि आपके बच्चे को ऑटिज्म नामक बीमारी हो.
क्या है ऑटिज्म- ऑटिज्म एक मानसिक रोग है जिसमें बच्चा अपनी ही धुन में रहता है. ये दिमाग के डवलपमेंट के दौरान होने वाला विकार है. ऑटिज़्म के लक्षण बच्चे में तीन साल की उम्र में ही नजर आने लगते हैं. ऐसे बच्चों का विकास सामान्य बच्चों की तुलना में असामान्य होता है. इससे बच्चे का सामाजिक व्यवहार प्रभावित होता है. ऑटिज़्म के शिकार बच्चे एक ही काम को बार-बार दोहराते हैं. कई बच्चों में एक डर सा दिखाई देता है तो कुछ बच्चे जल्दी से प्रतिक्रिया नहीं देते.
क्या है कारण- ऐसा माना जाता है कि कई बार गर्भावस्था के दौरान अच्छा खानपान ना होने के कारण भी बच्चे को ऑटिज्म का शिकार हो जाते हैं. कई बार बच्चे का ब्रेन ठीक से डवलप नहीं होता तो भी ये बीमारी हो जाती है. सेंट्रल नर्वस सिस्टम को नुकसान होने के कारण मुख्य तौर पर ऑटिज्म नामक बीमारी होती है.
ऑटिज्म के लक्षण-
- बच्चे जल्दी से दूसरों से आई कॉन्टेक्ट नहीं कर पाते.
- बच्चे किसी की आवाज सुनने के बाद भी रिएक्ट नहीं करते.
- भाषा को सीखने-समझने में इन्हें दिक्कत आती है.
- बच्चे अपनी ही धुन में अपनी दुनिया में मग्न रहते हैं.
- ऐसे बच्चों का मानसिक विकास ठीक से नहीं हुआ होता तो ये बच्चे सामान्य बच्चों से अलग ही दिखते और रहते हैं.
- ऑटिज्म को पहचानने का सही तरीका यही है कि अगर बच्चा बचपन में आपकी चीजों पर रिएक्ट नहीं कर रहा या फिर कुछ नहीं बोल रहा तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट- एक्सपर्ट की मानें तो ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के परेंट्स की सही काउंसलिंग बहुत जरूरी है. अगर पेरेंट्स की सही तरह से काउंसलिंग की जाए तो बच्चे की परेशानी को समझने और बच्चे को सही से ट्रीटमेंट मिल सकता है. बेशक, ऑटिज्म की समस्या को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता लेकिन बच्चों को उनकी रोजमर्रा के कामों की ट्रेनिंग धीरे-धीरे दी जा सकती है. बच्चे के लिए इलाज के लिए चाइल्ड साइकाइट्रिक्स सेकाउंसलिंग भी बहुत जरूरी होती है.
ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए कुछ टिप्स-
- बच्चे को कुछ भी समझाएं तो धीरे-धीरे एक-एक शब्द बोलें और बच्चे के साथ उसे दोहराएं.
- बच्चों के साथ खेलें, उन्हें समय दें.
- बच्चों को डिफिकल्ट ट्वॉयज ना दें.
- बच्चों को फोटो के जरिए चीजें समझाएं.
- बच्चों को आउटडोर गेम्स खिलाएं. इससे बच्चे का थोड़ा कॉन्फिडेंस बढ़ेगा.
- बच्चे के सामने सामान्य बच्चों की तुलना ना करें.
- आपकी थोड़ी सी समझदारी आपके बच्चों को नया जीवन दे सकती है.
ये खबर रिसर्च के दावे पर हैं, एबीपी न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. किसी भी बात या सुझाव पर अमल करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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