इस भागदौड़ वाली जिंदगी में एक हेल्दी लाइफस्टाइल को बनाए रखना मुमकिन शायद ही नहीं है. हालांकि कई रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि अगर सेहत और दिमाग दोनों को मजबूत रखना है तो आपको अपनी लाइफस्टाइल को हेल्दी रखना होगा. 'अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी' के रिसर्च के मुताबिक अगर आप अपनी लाइफस्टाइल को अच्छा और हेल्दी रखते हैं तो सात दिल की बीमारी, ब्रेन की बीमारी के साथ-साथ डायमेंशिया का खतरा कम होता है. हेल्दी बनाए रखने के लिए, बेहतर खाना, वजन पर कंट्रोल रखना, धूम्रपान न करना, बीपी को कंट्रोल में रखना, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना और कम रक्त शर्करा होना शामिल है.


रिसर्च


रिसर्चर के मुताबिक अगर आप हेल्दी लाइफस्टाइल रखेंगे तो डायमेंशिया का खतरा 6 प्रतिशत कम हो जाता है. इससे पता चलता है कि शुरुआत से ही हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करना चाहिए जिससे डायमेंशिया का खतरा कम हो सकता है. 


किताबें पढ़ना


किताबें पढ़ना एक अच्छी आदत में शुमार साथ ही यह आपकी दिमाग को हेल्दी भी रखती है. पढ़ने से दिमाग हमेशा एक्टिव रहता है. जिससे किसी भी बीमारी के होने का खतरा कम होता है. 


एक्टिव रहना


शारीरिक गतिविधि मस्तिष्क की कोशिकाओं को चार्ज और स्वस्थ रखने में मदद करती है. रेग्युलर एक्सरसाइज से दिमाग में रक्त का प्रवाह बढ़ता है. इसकी कार्यक्षमता बढ़ती है और किसी भी बीमारी का खतरा कम होता है.


हेल्दी डाइट लेना


फलों, सब्जियों, दुबले प्रोटीन और साबुत अनाज से भरपूर डाइट मस्तिष्क को सर्वोत्तम स्वास्थ्य प्रदान करता है. प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों और शर्करा युक्त पेय से बचें जो संज्ञानात्मक हानि का कारण बनते हैं.


स्वस्थ वजन बनाए रखना


संतुलित आहार के साथ-साथ स्वस्थ वजन बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है. मोटापा मस्तिष्क विकारों सहित विभिन्न स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बन सकता है.


धूम्रपान नहीं करना चाहिए


ज्यादा धूम्रपान करने से दिमाग पर काफी ज्यादा हानिकारक प्रभाव पड़ता है. सिर्फ इतना ही नहीं इससे स्ट्रोक और अल्जाइमर की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है. 


हाई बीपी


हाई बीपी दिमाग के कमजोर नसों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. यहां तक कि इससे स्ट्रोक का भी खतरा बना रहता है. 


ब्लड में शुगर लेवल कम होना


ब्लड में शुगर का लेवल कितना इसका हमेशा चेक करवाते रहना चाहिए. ब्लड में हाई शुगर लेवल दिमाग को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे याददाश्त और सीखने की समस्याएं में दिक्कत हो सकती है. साथ ही मूड स्विग, वजन बढ़ना, हार्मोनल चेंजेज और अल्जाइमर की बीमारी का भी खतरा बढ़ता है. 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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