World Cancer Day: आज के समय में कैंसर कोई बीमारी नहीं रह गई है बल्कि ये महामारी का रूप ले चुकी है. आपमें से ज्यादातर लोग जानते होंगे कि हमारे देश में एक ऐसी ट्रेन चलती है, जिसे कैंसर ट्रेन के नाम से जाना जाता है. क्योंकि इसमें ज्यादातर पेसेंजर कैंसर के मरीज और उनके इलाज के लिए साथ जाने वाले परिजन ही होते हैं. 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाया जाता है, इस अवसर पर यहां हम आपके लिए कैंसर से जुड़े उन सभी सवालों के जवाब लेकर आए हैं, जिनके बारे में हर आम इंसान जानना चाहता है. इस बारे में हमने बात की है बीएलके-मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के कैंसर विभाग के डायरेक्टर डॉक्टर सज्जन राजपुरोहित से...
1. कैंसर क्या है और क्यों होता है?
शरीर में मौजूद कोशिकाओं यानी सेल्स में दो ऐसे बदलाव आ जाते हैं, जो नहीं आने चाहिए तब शरीर में कैंसर बनता है. पहला है, किसी भी कोशिका का अनियंत्रित रूप से बढ़ना और दूसरा है, किसी एक ऑर्गन की सेल का बहुत अधिक ग्रोथ लेते हुए अपनी जगह से दूसरे ऑर्गन तक फैल जाना. इन दोनों कंडीशन में कैंसर हो जाता है.
2. कैंसर कितने तरह के होते हैं?
दो या दस नहीं बल्कि इंसान की बॉडी में 250 तरह के कैंसर हो सकते हैं. लेकिन कैटिगरी के आधार पर इन ढाई सौ कैंसर को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है.
- स्किन की लाइनिंग से बनने वाले कैंसर कार्सिनोमा कहलाते हैं.
- मसल्स और बोन के कैंसर सारकोमा
- तीसरे हैं ब्लड के कैंसर, जिन्हें लिंफोमा, ल्यूकीमिया और माइलोमा कहा जाता है. इनके अलावा ब्रेन ट्यूमर और मेलेनोमा अलग कैटिगरी में आते हैं.
3. क्या हर कैंसर के लक्षण एक जैसे होते हैं?
नहीं, हर कैंसर के लक्षण अलग होते हैं. लेकिन ज्यादातर मामलों में सिर्फ लक्षणों के आधार पर ये जानना मुश्किल होता है कि ये कैंसर के लक्षण हैं या फिर किसी आम बीमारी की वजह से ऐसा हो रहा है. क्योंकि टीबी, निमोनिया, बदहजमी और पाइल्स जैसी कई बीमारियों के लक्षण भी कैंसर में देखने को मिलते हैं. हालांकि कुछ स्पेसिफिक लक्षण होते हैं, जिनके आधार पर इस बात का फी हद तक अनुमान लगाया जा सकता है कि ये कैंसर है जैसे, व्यक्ति का वजन लगातार कम होता जाना और साथ में रुक-रुककर लगातार बुखार आते रहना. ये ब्लड कैंसर लिंफोमा के स्पेसिफिक लक्षणों में शामिल हैं.
4. किस स्टेज तक कैंसर क्योरेबल होता है?
आज के समय में कैंसर स्टेज वन से लेकर स्टेज फोर्थ तक क्योरेबल हो गया है लेकिन ये कैंसर के प्रकार पर निर्भर करता है. क्योंकि हर कैंसर में अलग-अलग स्टेज पर कैंसर की क्योरेबिलिटी अलग होती है. जैसे, ट्यूमर, लिंफोमा, मेलोमा ये कैंसर स्टेज फोर्थ पर भी ठीक हो सकते हैं लेकिन इनमें भी पेशेंट की कंडीशन और जेनेटिक्स जैसी कई बातें मैटर करती हैं. जबकि कुछ कैंसर ऐसे होते हैं, जिन्हें स्टेज 3 पर भी क्योर करना संभव नहीं हो पाता है, जैसे पैन्क्रियाटिक कैंसर.
5. क्या कुछ पर्टिकुलर कैंसर में पेशेंट के सर्वाइवल के चांस होते हैं?
कुछ अडवांस कैंसर भी अब फोर्थ स्टेज में क्योरेबल हो रहे हैं क्योंकि इलाज की तकनीक पहले से बेहतर हुई हैं साथ ही में कुछ अडवांस और टारगेटेड थेरेपीज आ गई हैं, जिनके जरिए पेशेंट की लाइफ को बढ़ाया जा सकता है. इससे स्टेज फोर्थ के अंदर भी पेशेंट की लाइफ 5 से 10 साल तक बढ़ जाती है.
6. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बॉलीवुड ऐक्टर संजय दत्त को फोर्थ स्टेज का लंग कैंसर था और अब वो फिट हैं फिल्में कर रहे हैं... किन स्थितियों में ऐसा संभव होता है कि पेशेंट ठीक होकर इतना हेल्दी हो जाए, किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ऐक्टर संजय दत्त को लंग कैंसर है और जैसा कि हमने पहले भी बताया कि टारगेटेड और अडवांस थेरेपीज के जरिए कई बार पेशेंट फोर्थ स्टेज कैंसर में भी एकदम ठीक से जीवन जी पाते हैं. इस स्थिति में हम बीमारी को फंक्शनली क्योर मानते हैं.
7. लाइफस्टाइल और डायट से जुड़े ऐसे कौन-से कारण हैं, जो कैंसर सेल्स को ट्रिगर कर सकते हैं?
लाइफस्टाइल और डायट कैंसर से बचने और कैंसर होने दोनों में ही अहम रोल निभाते हैं. यदि आप अपनी डायट और लाइफस्टाइल को सही रखते हैं तो कैंसर होने के चांस काफी हद तक घट जाते हैं. जबकि ऐसा ना करने पर कैंसर के चांस उतने ही बढ़ जाते हैं. आजकल ज्यादातर लोगों की लाइफस्टाइल बहुत लेजी हो गई है, जिसमें फिजिकल ऐक्टिविटीज बहुत लिमिटेड बची हैं. इसके साथ ही तंबाकू का यूज, एल्कोहॉल और क्रॉनिक ड्रग्स अब्यूज, ये ऐसे कारण हैं, जिनके चलते पिछले कुछ दशक में कैंसर केसेज 10 गुना तक बढ़ गए हैं.
8. कैसी डायट की वजह से कैंसर बढ़ता है?
प्रोसेस्ड फूड, फास्ट फूड, रेड मीट भी कई मामलों में हेल्थ के लिए बहुत अच्छे नहीं होते. इनके कारण शरीर में अंदरूनी सूजन बढ़ जाती है. अगर हेल्थ पर बिना ध्यान दिए इनका सेवन लंबे समय तक किया जाए तो ये कैंसर का कारण बन सकते हैं. जैसे, गॉलब्लेडर कैंसर, स्टमक कैंसर, पैनक्रियाटिक कैंसर और कोलन कैंसर, ये सभी आमतौर पर गलत खान-पान के कारण ही ट्रिगर होते हैं.
9. कैंसर से पीड़ित मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए कौन-कौन से पैमाने अपनाएं जा सकते हैं, डिप्रेशन, चिंता और तनाव से उन्हें कैसे दूर रखा जा सकता है? कैसे उन्हें पॉजिटिव रखा जाए?
मेंटल हेल्थ काफी अहम होती है कैंसर पेशेंट्स के लिए. आमतौर पर इलाज के दौरान इस एंगल पर कम ही काम किया जाता है. लेकिन अपने पेशेंट्स के लिए हमने ऑन्कोलजी डिपार्टमेंट में ही साइकोऑन्कॉलजी डिपार्टमेंट बना रखा है, जहां कैंसर पेशेंट्स को जरूरी सपॉर्ट दिया जाता है ताकि वे पॉजिटिव रहकर अपना इलाज करा पाएं. शुरुआत में काउंसलिंग की जाती है और जरूरी होने पर ऐंटी डिप्रेशन और ऐंटी एंग्जाइटी दवाएं भी दी जाती हैं.
10. कई ऐसे लोग हैं जो ना गुटखा खाते हैं, ना सिगरेट पीते हैं, फिर भी उन्हें कैंसर हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं
गुटखा और सिगरेट कैंसर होने की एक मात्र वजह नहीं होते हैं बल्कि ये कैंसर होने की कई वजहों में से एक हैं. ये मुंह का कैंसर, फेफड़ों के कैंसर होने के मुख्य कारण हैं. जो लोग इनका सेवन करते हैं, उनमें ऐसे कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. जबकि आपका जो सवाल है कि जो लोग ऐसा नहीं करते हैं, उन्हें कैंसर क्यों हो जाता है तो इसके अनुवांशिक कारण भी होते हैं और लाइफस्टाइल, एनवायरमेंट से जुड़े कारण भी होते हैं. साथ में ये भी समझना जरूरी है कि कैंसर 250 तरह का हो सकता है तो गुटका और तंबाकू ना खाने वाले लोगों का इनके कारण होने वाले कैंसर से तो बचाव होता है लेकिन अगर वो दूसरे ऐसे कारणों के एक्सपोजर में हैं, जिनकी वजह से अन्य प्रकार के कैंसर होते हैं तो उन्हें ये समस्या हो जाती है.
11. ज्यादातर महिलाओं में नशा करने जैसी कोई गलत आदत नहीं होती फिर भी ब्रेस्ट कैंसर हो जाता है, इससे बचने का क्या उपाय है?
ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए भी लाइफस्टाइल, डायट, एक्सर्साइज और समय-समय पर अपना हेल्थ चेकअप कराते रहना जरूरी होता है. रही नशे की बात तो हम इस कारण को पहले सवाल में डिसकस कर चुके हैं कि कैंसर कई अलग-अलग कारणों से हो सकता है. जिन महिलाओं को कम उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाते हैं या जिनकी फैमिली हिस्ट्री में ब्रेस्ट कैंसर रहा होता है, उनमें इस कैंसर के होने का खतरा अधिक रहता है.
12. कीमो और रेडियो के अलावा भी कैंसर का कोई इलाज है?
कीमोथेरपी, रेडियोथेरपी, कुछ खास केसेज और स्टेज में सर्जरी के अलावा टारगेटेड थेरपी, अडवांस थेरपी ट्रीटमेंट्स जैसे, इम्युनोथेरपी आदि कई लेटेस्ट ट्रीटमेंट शामिल हैं. लेकिन ये कैंसर के नेचर और पेशेंट की कंडीशन को ध्यान में रखकर ही दिए जाते हैं.
13. जो लोग कैंसर को एक गोली से ठीक करने का दावा करते हैं... वो कितना सच है?
ये बात कुछ हद तक ठीक कही जा सकती है क्योंकि टारगेटेड थेरपी या ओरल टारगेटेड थेरपी में दवाओं के जरिए कुछ तरह के कैंसर को एक स्टेज तक ठीक किया जा सकता है. लेकिन इस तरह कहना सही नहीं है कि एक ही गोली से कैंसर ठीक हो जाएगा.
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