नई दिल्लीः आज वर्ल्ड डायबिटीज डे है. दुनियाभर में डायबिटीज जैसी लाइफस्टाइल डिजीज़ के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है. चलिए जानते हैं विश्व मधुमेह दिवस 2019 की थीम क्या है और इस दिन की क्या महत्ता है.



सबसे पहले इस दिन मनाया विश्व मधुमेह दिवस -
विश्व मधुमेह दिवस पहली बार 14 नवंबर, 1991 को अंतर्राष्ट्रीय डायबिटीज फाउंडेशन (IDF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा डायबिटीज से उत्पन्न होने वाले बढ़ते स्वास्थ्य खतरे के बारे मं  बढ़ती चिंताओं के जवाब में मनाया गया था. वर्ल्ड डायबिटीज डे 2006 में संयुक्त राष्ट्र संकल्प 61/225 के पारित होने के साथ एक आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र दिवस बन गया. यह हर साल 14 नवंबर को सर फ्रेडरिक बैंटिंग की जयंती के रूप में चिह्नित किया जाता है, जिन्होंने 1922 में चार्ल्स बेस्ट के साथ इंसुलिन की खोज की थी.


डायबिटीज एक पुरानी बीमारी है जो तब होती है जब पेंक्रियाज इंसुलिन बनाने में सक्षम नहीं होता है, या जब शरीर इंसुलिन का सही से इस्ते माल नहीं कर पाता. इंसुलिन का उत्पादन नहीं करने या इसका प्रभावी ढंग से उपयोग न करने से ब्लड में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है (हाइपरग्लाइकेमिया के रूप में जाना जाता है). लंबे समय तक हाइ ग्लूकोज का स्तर शरीर को नुकसान और विभिन्न अंगों और ऊतकों की विफलता से जुड़ा होता है.

वर्ल्ड डायबिटीज डे 2019 थीम -
हर साल विश्व मधुमेह दिवस अभियान एक विषय पर केंद्रित होता है जो एक या अधिक वर्षों तक चलता है. वर्ल्ड डायबिटीज डे 2019 का विषय परिवार और मधुमेह है. आईडीएफ उन प्रभावों के बारे में जागरूकता बढ़ा रहा है जिन परिवारों में डायबिटीज है और जो लोग इससे प्रभावित हैं. साथ ही ये डायबिटीज के प्रबंधन, देखभाल, रोकथाम और शिक्षा में परिवार की भूमिका को बढ़ावा दे रहा हैं. आज के समय में टाइप 2 डायबिटीज बहुत आम हो गया है. वर्तमान में डायबिटीज दो में से एक व्यक्ति को है.

डायबिटीज के प्रकार -
टाइप 1 डायबिटीज आमतौर पर एक ऑटो-इम्यून रिएक्शन के कारण होता है जहां शरीर की रक्षा प्रणाली इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं पर हमला करती है. यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन आमतौर पर बच्चों या युवा वयस्कों में विकसित होती है. डायबिटीज के इस रूप वाले लोगों को अपने ब्लड में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करने के लिए हर दिन इंसुलिन के इंजेक्शन की आवश्यकता होती है.

डायबिटीज के सभी मामलों में कम से कम 90% लोग टाइप 2 डायबिटीज से ग्रसित हैं. यह इंसुलिन प्रतिरोध और रिलेटिव इंसुलिन की कमी के कारण होता है. टाइप 2 डायबिटीज का सालों तक नहीं पता चलता. इसके बारे में तब पता चलता है जब सेहत की अधिक समस्याएं होने लगें. इसके लिए ब्लड या यूरिन टेस्ट किया जाता है. आमतौर पर टाइप 2 डायबिटीज का कारण अधिक वजन या मोटापा होता है. इसके कारण हाई ब्लबड शुगर का स्तर शरीर में बढ़ जाता है.

तीसरे तरह की डायबिटीज को गर्भावधि मधुमेह (GDM) यानि गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड शुगर के स्तर से युक्त डायबिटीज. यह दुनिया भर में 25 गर्भधारण में से एक में विकसित होता है. गर्भावस्था के बाद जीडीएम आमतौर पर गायब हो जाता है, लेकिन जीडीएम महिलाओं को और उनके बच्चों में बाद में टाइप 2 डायबिटीज के रूप में विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है.

ये खबर रिसर्च के दावे पर हैं. ABP न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. आप किसी भी सुझाव पर अमल या इलाज शुरू करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर ले लें.