World Environment Day 2022: आज पूरी दुनिया में पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है. अन्य त्योहारों की तरह यह भी एक दिन है, जब प्रकृति और पर्यावर्ण को सही बनाए रखने के लिए प्रयासों और जरूरतों पर चर्चा होती है, लोगों में जागरूकता बढ़ाई जाती है. लेकिन पर्यावरण को सही रखने का प्रयास बाकी सभी तरह के प्रयास से अधिक होना चाहिए और इसमें सभी की भागीदारी जरूरी है. एक आम इंसान की भी. हम सभी अपने स्तर क्या कर सकते हैं ताकि वातावरण को खराब होने से बचाया जा सके और हम खुद इसके बुरे प्रभावों से बचे रहें, इस बारे में राजस्थान के श्रीगंगानगर में रहने वाले डॉक्टर चरणजीत सिंह ने कई महत्वपूर्ण बातें बताईं. ये अपने पेशंट्स को सालों से इस विषय में जागरूक कर रहे हैं. इन्होंने शहर के लोगों को स्वस्थ रहने के लिए कई जरूरी टिप्स दिए हैं...
डॉक्टर सिंह का कहना है कि हमारे वातावरण के तीन मुख्य पहलू हैं, हवा, जल और पृथ्वी. जब इन तीनों में किसी भी तरह की अवांछित मिलावट होती है तो यह दूषित होने लगता है और इसे प्रदूषण कहते हैं. पॉल्यूशन भी मुख्य रूप से तीन तरह का होता है और इसके सभी प्रकार अलग-अलग तरह की बीमारियों को बढ़ाते हैं.
- एयर पॉल्यूशन: जब हवा में धुआं और हानिकारक विषैले कणों की मात्रा बढ़ने लगती है तो ये हवा को दूषित करके बीमारियां पैदा करते हैं. यूं तो हमारे देश के ज्यादातर शहरों में और साथ ही पूरी दुनिया में वायु प्रदूषण की समस्या हर दिन की है. लेकिन सर्दी के मौसम में यह प्रदूषण अधिक बीमारियां फैलाने लगता है. इसलिए सर्दी में एयरबोर्न डिजीज अधिक होती हैं. जैसे, श्वांस की बीमारी, दिल की बीमारी , फेफड़ों, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस
- वॉटर पॉल्यूशन: गर्मी और बरसात के मौसम में दूषित पानी के कारण फैलने वाले रोग अधिक तेजी से बढ़ते हैं. इन्हें वॉटरबोर्न डिजीज कहते हैं, जैसे, टायफाइड, हैजा, पेट की बीमारियां, आंत की बीमारियां, लूज मोशन, हाई फीवर इत्यादि.
- तीसरा है नॉइज पॉल्यूशन: ध्वनि के कारण बढ़ता प्रदूषण आज देश में बढ़ रही मानसिक बीमारियों की सबसे बड़ी वजह बन चुका है. कोविड के बाद मानसिक रूप से समस्याओं का सामना कर रहे लोगों की संख्या और भी बढ़ी है. ऐसे में डिप्रेशन, नींद ना आना, चिढ़चिढ़ापन, एंग्जाटी, लो मूड, मूड स्विंग्स जैसी समस्याओं के मरीज बढ़ रहे हैं.
- सॉइल पॉल्यूशन: डॉक्टर सिंह कहते हैं कि पॉल्यूशन की बात करते समय अक्सर मिट्टी में बढ़ रहे प्रदूषण की बात नहीं होती है. जबकि फसलों पर पेस्टिसाइट्स का बढ़ता उपयोग, मिट्टी में मिलती प्लास्टिक और लगातार हो रहा जमीन का दोहन सॉइल पॉल्यूशन को हानिकारक स्तर पर पहुंचा चुका है. यही वजह है कि हमारी सब्जियों से लेकर दूध तक सबकुछ जहरीला हो चुका है. क्योंकि हमारी गाय जो चारा खाती है, उसमें भी पेस्टिसाइट्स का असर होता है.
बचाव के उपाय
- शहरों में रहने वाले लोगों को डॉक्टर सिंह का सुझाव है कि आप अपने घर की बालकनी में किचन गार्डन जरूर बनाएं. यदि आपके पास छत की सुविधा है तो वहां अपने लिए ऑर्गेनिक सब्जियां उगाएं.
- किचन वेस्ट को कूड़े में ना फेंके. इससे हवा में जहरीली गैसों का स्तर बढ़ने लगता है. बल्कि इस वेस्ट से अपने पौधों के लिए खाद बनाएं, घर के पास किसी पार्क में जमीन खोदकर दबा दें या फिर सब्जियों और फलों के ताजा छिलके, बची हुई चपाती, आटा-चावल इत्यादि को गोशाला में दे आएं.
- आप बोतल बंद पानी पीते हैं तो इन बॉटल को इधर-उधर ना फेंके. बल्कि सिर्फ कूड़ादान में ही डालें. ताकि ये कहीं मिट्टी में ना दबें या नदी में ना गिरें.
- जितना संभव हो सके घर से ऑफिस जाने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट या कार पूल का उपयोग करें. ताकि वायु प्रदूषण कम से कम हो.
ऐसी रखें अपनी डायट
प्रदूषण का बुरा असर शरीर पर कम से कम हो इसके लिए ऊपर बताए गए प्रयासों के साथ ही डायट में कुछ खास चीजें जरूर शामिल करें. जैसे, घर की उगाई गई ऑर्गेनिक सब्जियां खाएं, ड्राई फ्रूट्स का सेवन करें, हर दिन दूध और छाछ जरूर लें और सॉफ्ट ड्रिंक के नाम पर मिलने वाले जहर को पीने से बचें.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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