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Part-2: बच्चों की इंटेलिजेंसी मशीन करेगी तय, आंख और बालों का कलर भी आपके मुताबिक होगा
एक्टोलाइफ के अनुसार दंपति को अपने मन मुताबिक बच्चा मिल सकेगा. इसके अलावा ग्रोथ पॉड्स में बच्चों को रखकर पूरे 9 माह तक मॉनिटरिंग की व्यवस्था भी की जाएगी.
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कुछ ऐसी चीजें हैं, जिन्हें दुनियाभर में लोग 'भगवान की मर्जी' या फिर 'प्रकृति की देन' कहकर स्वीकार करते हैं. इंसान खुद भी मानता है कि कुछ चीजों के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए लेकिन ऐसा होता कहां है. अब अगर, कोई कंपनी ये कहे कि बच्चे को 9 महीने कोख में पालना जरूरी नहीं, हम मशीन में पाल देंगे, तो आप क्या कहेंगे? ये छोड़िए, फिर ये भी कहने लगे कि आप तय कीजिए कितना विद्वान बच्चा चाहिए? तब तो आप सोचने पर मजबूर हो ही जाएंगे. मगर, ये भी कहने लगे कि उसकी आंख और बालों का रंग वही होगा, जो आप चाहते हैं तो फिर आप शायद यही पूछें कि, ये कंपनी है कौन सी? और क्या करती है.
कौन सी कंपनी ने किया है दावा?
बच्चे को 9 महीने मां की कोख की बजाय, मशीनों के जरिए पालने का पूरा दावा करने वाली इस कंपनी का नाम है एक्टोलाइफ (EctoLife). एक्टोलाइफ खुद को दुनिया की पहली आर्टिफिशियल वूम (Artificial Womb) सर्विस देने वाली कंपनी बताती है. कंपनी ने हाल ही में वीडियो जारी करके इस पूरे प्रोसेस के बारे में बताया है.
आर्टिफिशियल वूम (Artificial womb) क्या होता है?
आर्टिफिशियल वूम या आर्टिफिशियल यूट्रस का मतलब है, मशीनों के जरिए तैयार किया गया एक गर्भाशय जहां बच्चों को न सिर्फ 9 महीने पाला जा सकता है, बल्कि उसके जीन में भी बदलाव किए जा सकते हैं. इसे शुद्ध हिंदी में कृत्रिम गर्भाशय भी कह सकते हैं. इस कृत्रिम गर्भाशय में रखकर बच्चे की वैसे ही देखभाल की जाती है, जैसे की मां की कोख में बच्चा रहता है. उसके खाने-पीने से लेकर उसकी सेहत का ध्यान रखा जाता है. जिस कृत्रिम गर्भाशय में बच्चा रखा जाता है, उसे ग्रोथ पॉड्स कहते हैं. ग्रोथ पॉड्स में बच्चों को रखकर पूरे 9 महीने तक उसकी मॉनिटरिंग की जाएगी.
कैसे मिलेगा मनचाहा बच्चा?
एक्टोलाइफ के मुताबिक किसी भी दंपति को को इस पद्धति के जरिए मनचाहा बच्चा मिल सकता है. इसके लिए कंपनी ने एलीट पैकेज (खास तरह का महंगा पैकेज, जिसमें बच्चे का डीएनए चुनने की व्यवस्था मिले) तैयार किया है. इसे जेनेटिक इंजीनियरिंग कहा जाएगा, जिसमें बच्चे के भीतर कुछ स्पेशल किस्म के डीएनए डाले जाएंगे जिससे वह सामान्य बच्चों के मुकाबले खास हो सके.
इतना ही नहीं बच्चों के जीन को बदलने के लिए CRISPR-Cas9 नाम के जीन एडिटिंग टूल का सहारा लिया जाएगा, जिससे बच्चे के 300 तरह के DNA बदले जा सकेंगे. यानी मशीन में पल रहे बच्चे में खास जीन डाल दिए जाएंगे, जिससे आप अपनी पसंद का लायक बच्चा पैदा कर पाएंगे. जो लोग कहते हैं कि हमारा बच्चा नालायक है, उन्हें इस तकनीक से छुटकारा मिल जाने का दावा कंपनी ने किया है.
इसके पीछे कौन है? (Who is Hashem Al-Ghaili)
आर्टिफिशियल कोख में बच्चे को पालने का पूरा श्रेय एक्टोलाइफ ने हासिम अल गायली को दिया है. उन्हीं के प्रोफाइल से वो वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें विस्तार से इस तकनीक के बारे में बताया गया है. एक्टोलाइफ का कॉन्सेप्ट और ये फैसिलिटी बायोटेक्नोलॉजिस्ट और साइंस कम्यूनिकेटर हासिम अल गायली का है. कंपनी का दावा है कि इस कॉन्सेप्ट पर साइंटिस्ट और इंजीनियर मिलकर साल 1950 से काम कर रहे हैं.
देखें वीडियो-
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