अल्जाइमर के मरीजों के लिए अच्छी खबर, अब दवाई के अलावा इस तरीके से भी कर सकते हैं कंट्रोल
लंदन यूनिवर्सिटी के कॉलेज ने अल्जाइमर और डिमेंशिया की बीमारी पर कंट्रोल करने के लिए एक खास तरह की दवा या यूं कहें एक थेरेपी खोज निकाला है.
अल्जाइमर के मरीजों के लिए एक खास खबर है. खबर यह है कि लंदन यूनिवर्सिटी के कॉलेज ने अल्जाइमर बीमारी पर कंट्रोल करने के लिए एक खास तरह की दवा या यूं कहें एक थेरेपी खोज निकाला है. इसे 'जीन साइलेंसिंग' का नाम दिया गया है. यह खास तरह की दवा BIIB080 (IONIS-MAPTRx) मरीज के जीन में जाकर घुल जाएगी और फिर धीरे-धीरे अपना असर दिखाने लगेगी. सीधे शब्दों में समझें तो यह मरीज के नसों में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का फ्लो करेगी. लंदन यूनिवर्सिटी के कॉलेज की एक टीम जो काफी समय से इस पर रिसर्च कर रही है. उसने हाल ही में 'जीन साइलेंसिंग' का प्रयोग अल्जाइमर और डिमेंशिया के मरीजों के ऊपर किया और देखा कि इस दवा का असर मरीजों के ऊपर दिखाई दे रहा है.
Tau प्रोटीन
इस थेरेपी में जिस दवा का यूज किया जा रहा है उसका नाम BIIB080 (IONIS-MAPTRx) है. इस थेरेपी में Tau नाम के प्रोटीन का लेवल जरूरत के हिसाब से शरीर में बढ़ाया जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नसों में बहने वाली प्रोटीन को प्रोटीन ताऊ (एमएपीटी) जीन के रूप में जाना जाता है. यह दवा की एक खुराक जीन में ताउ प्रोटीन बढ़ने से रोकता है उसे कंट्रोल करके रखताा है.
स्क्वायर इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजी और नेशनल हॉस्पिटल फॉर न्यूरोलॉजी एंड न्यूरोसर्जरी और सलाहकार न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. कैथरीन ममेरी (यूसीएल क्वीन) के मुताबिक हमें यह समझने के लिए अभी और रिसर्च करने की जरूरत है कि यह दवा किस तरह से बीमारी पर असर कर रही है. और शरीर के मूवमेंट को धीरे-धीरे ठीक कर रही है. इस बीमारी से पीड़ित एक बड़ा समूह है. लेकिन हम यह बात तो बिल्कुल कह सकते हैं कि इस दवा के जितने अच्छे परिणाम देखने को मिल रहे हैं. यह इस बीमारी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम होगा. हमने इस दवा थेरेपी जीन साइलेंसिंग के जरिए ताऊ प्रोटीन के ओवर फ्लों को कंट्रोल करने में सफल हुए हैं. अल्जाइमर के साथ-साथ जो भी बीमारी ताऊ प्रोटीन के बढ़ने के कारण होती है हम उसका इलाज इस थेरेपी के जरिए आसानी से कर सकते हैं.
इस उम्र के मरीजों पर किया गया ट्रॉयल
पहले चरण के परीक्षण में BIIB080 की सुरक्षा पर ध्यान दिया गया कि यह शरीर में क्या करता है और यह MAPT जीन को कितनी अच्छी तरह प्रभावित करता है. कुल मिलाकर, 66 साल की औसत आयु वाले 46 रोगियों के ऊपर इस दवा का परिक्षण किया गया. यह साल 2017 से 2020 तक हुआ था. इसमें स्पाइनल कोड में इंजेक्शन दी जाती थी. ताकि दवा का असर नर्वस सिस्टम पर हो. जर्नल नेचर मेडिसिन में पब्लिश रिपोर्ट के मुताबिक मरीजों पर दवा का असर दिख रहा है. उन्होंने काफी अच्छा रिस्पॉन्स दिया है. सभी मरीजों ने उपचार की अवधि पूरी की और 90 प्रतिशत से अधिक का अभी भी इलाज चल रहा है.
मरीजों पर दिखें दवा के हल्के साइड इफेक्ट्स
मरीजों पर दवा के हल्के साइड इफेक्ट भी देखा गया.दवा के इंजेक्शन के बाद सबसे आम सिरदर्द है. हालांकि, दवा दिए जाने वाले रोगियों में कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव नहीं देखा गया. रिसर्च टीम ने मरीजों को दो भागों में बांटा एक ग्रुप को दवा की ज्यादा डोज दिएं और दूसरे को कम. उन्होंने दवा की उच्चतम खुराक प्राप्त करने वाले दो उपचार समूहों में 24 सप्ताह के बाद सीएनएस में कुल ताऊ और फॉस्फोर ताऊ एकाग्रता के स्तर में 50 प्रतिशत से अधिक की कमी पाई.
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