World Heart Day 2024: 30 साल की उम्र में दिल की बीमारियों का खतरा कितना, इसकी वजह क्या?
World Heart Day 2024: खराब लाइफस्टाइल और खानपान के कारण हार्ट के मरीजों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है. यही कारण है कि कम उम्र यानी की 30 के उम्र वाले लोगों को भी हार्ट अटैक पड़ रहा है.
पिछले बीते सालों में हार्ट अटैक कि घटना जिस तरीके से सामने आ रही है . यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है. आजकल देखा जा रहा है कि 20-30 साल की उम्र वाले लोगों को भी हार्ट अटैक हो रहा है. फिट दिख रहे लोगों को भी हार्ट अटैक पड़ रहे हैं. डांस, वर्कआउट, चलते-फिरते हुए लोग हार्ट अटैक के कारण मर रहे हैं. लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इसके पीछे का कारण क्या है?
टीवी 9 में छपी खबरे के मुताबिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. संजय कुमार बताते हैं कि हार्ट अटैक के सबसे प्रमुख कारण है मोटापा, खराब लाइफस्टाइल, हाई बीपी, डायबिटीज जैसी बीमारी के मरीज. इन मरीजों को दिल का दौरा का खतरा बढ़ जाता है. डॉक्टर बताते हैं कि 45 की उम्र के बाद पुरुषों को हार्ट अटैक का खतरा रहता है वहीं 55 साल की उम्र के बाद महिलाओं को दिल की बीमारी का जोखिम रहता है. 45 की उम्र के बाद हैवी वर्कआउट करने से बचना चाहिए. 45 की उम्र के बाद वर्कआउट में कमी करनी चाहए. क्योंकि हद से ज्यादा एक्सरसाइज हार्ट अटैक के जोखिम को बढ़ा सकती है.
उम्र बढ़ने के साथ-साथ व्यक्ति की काम करने की क्षमता कम होने लगती है. जब 45 की उम्र के बाद लोग एक्सरसाइज या एग्रेसिवली एक्सरसाइज करते हैं तो दिल की बीमारी का खतरा काफी ज्यादा बढ़ता है. इसके कारण हार्ट में दोगुनी रफ्तार से ब्लड पंप करता है. इसके कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है.
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हार्ट अटैक आने के बाद क्या करना चाहिए
अगर आपके सामने किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आ जाए तो सबसे पहले किसी समतल जगह पर उसे सीधा लेटाएं. अगर कोई व्यक्ति बेहोश हो गया है तो नब्ज चेक करें. अगर नब्ज बिल्कुल नहीं महसूस हो रही है तो समझ लें कि व्यक्ति को हार्ट अटैक पड़ा है. क्योंकि हार्ट अटैक में दिल की धड़कन रुक जाती है, इसलिए नब्ज नहीं मिल पाती. ऐसे दो से तीन मिनट के अंदर उसके हार्ट को रिवाइव करना जरूरी होता है, नहीं तो ऑक्सीजन के कमी के चलते उसका ब्रेन डैमेज हो सकता है. ऐसे में हार्ट अटैक आने पर तुरंत सीने पर जोर-जोर से मुक्का मारें. तब तक मारे जब तक वब होश में नहीं आ जाता है. इससे उसका दिल फिर से काम करना शुरू कर देगा.
बेहोश व्यक्ति को तुरंत सीपीआर दें
अगर कोई बिहोश हो गया है और उसका नब्ज नहीं चल रहा है तो उसको तुरंत अपने हाथ से सीपीआर दें. सीपीआर में मुख्य रूप से दो काम किए जाते हैं. पहला छाती को दबाना और दूसरा मुंह से सांस देना जिसे माउथ टु माउथ रेस्पिरेशन कहते हैं. पहले व्यक्ति के सीने पर बीचोबीच हथेली रखें. पंपिंग करते समय हथेली को एक हाथ को दूसरे हाथके ऊपर रख कर उंगलियों को अच्छे से बांध लें और हाथ और कोहनी दोनों सीधा रखें. उसके बाद छाती को पंपिंग करते हुए छाती को दबाया जाता है. ऐसे करने से धड़कनें फिर शुरू हो जाती हैं. हथेली से छाती को 1 -2 इंच तक दबाएं ऐसा एक मिनट में सौ बार करें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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