नईदिल्लीः  मलेरिया एक मच्छर जनित रोग है. यूं तो भारत में सालों से मलेरिया का प्रकोप रहा है लेकिन पिछले कई सालों से इसके मामले कम आ रहे थे. लेकिन 2016 में डेंगू और चिकनगुनिया के साथ देशभर में मलेरिया के काफी मामले देखे गए. इस साल भी गर्मियां आते ही लोग मलेरिया से परेशान हो रहे हैं. हर साल 25 अप्रैल को वर्ल्ड मलेरिया डे (World Malaria Day) मनाया जाता है. चलिए इसी मौके पर जानते हैं कैसे इन गर्मियों में मलेरिया को मात दी जा सकती है.


कैसे फैलता है मलेरिया-
सबसे पहले तो ये जानना जरूरी है कि मलेरिया फैलने का कारण क्या है? मलेरिया मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर के काटने से फैलता है. मलेरिया पैरासाइड पहले इंसान के लीवर को फिर उसके ब्लड को इंफेक्ट करता है. जब ब्लड पूरी तरह से इंफेक्टिड हो जाता है तो मलेरिया के सिम्टम्स सामने आने लगते हैं.


मलेरिया के लक्षण-




  • चक्कर आना

  • सांस फूलना

  • बुखार होना

  • सर्दी लगना

  • उबकाई आना

  • उल्टी आना

  • जुखाम होना

  • गंभीर मामलों में बेहोशी आना

  • टीनेज में मलेरिया हो जाए तो बच्चे के दिमाग को बहुत नुकसान पहुंचता है. मलेरिया बहुत बढ़ जाने पर हाथ-पैरों तक को क्षति पहुंचती है.

  • गर्भवती महिलाओं को यदि मलेरिया हो जाता है तो गर्भ में पल रहे शिशु की मौत का जोखिम बना रहा है.


सही वक्त पर इलाज ना होने वर मौत तक हो सकती है. मलेरिया के कई गंभीर मामलों में उचित इलाज होने पर भी मृत्यु दर 20% तक हो सकती है. यदि एक बार मलेरिया हो जाए तो ऐसा नहीं है कि दोबारा नहीं हो सकता.


रोकथाम-
आमतौर पर मलेरिया उन व्यस्क लोगों को बार-बार होता है जो मलेरिया प्रभावित क्षेत्र में रह रहे हैं. ऐसे लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है. मलेरिया को रोकने के लिए मच्छरदानी और कीड़े भगाने वाली दवाओं का छिड़काव करना चाहिए. कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से मलेरिया पर नियंत्रण पाया जा सकता है.


उपचार-  
मलेरिया इंफेक्शन का इलाज कुनैन और आर्टिमीसिनिन जैसी मलेरियारोधी दवाओं से किया जाता है. इसके अलावा कई मलेरिया-रोधी दवाएं हैं जिनका मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि मलेरिया की नई वैक्सीन तैयार हुई है लेकिन अभी इस पर ट्रायल चल रहा है.