निकोटीन की लत सबसे ज्यादा खराब होती है. एक बार किसी को लग जाए तो उसे छोड़ना बड़ा मुश्किल होता है. धूम्रपान दुनिया भर में मृत्यु और बीमारी का सबसे बड़ा कारण है. जिसे रोका जा सकता है. जो व्यक्ति सीगरेट पीता है तो वह निकोटीन, कार्बन मोनोऑक्साइड और टार सहित अन्य गैसों के कॉन्टैक्ट में आता है. जो फेफड़ों, लिवर,यूथेरा से जुड़ी बीमारी का कारण बनती है. धूम्रपान के कारण सांस से जुड़ी बीमारी होती है. सीओपीडी क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज बीमारी और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ता है.


धूम्रपान छोड़ने के बाद शरीर पर कुछ ऐसे बदलाव दिखाई देते हैं:


सिगरेट छोड़ने के बाद 4 से 5 घंटे में सांसों से अच्छी खुशबू आने लगती है. थोड़ी चिड़चिड़ापन और बेचैनी हो सकती है. लेकिन हम इस स्थिति पर काबू पा सकते हैं.


दिल का दौरा पड़ने का जोखिम कम होने लगता है. ब्लड में कार्बन मोनोऑक्साइड कम हो जाता है और ऑक्सीजन का स्तर काफी हद तक सुधर जाता है.


7 दिनों में शरीर में विटामिन सी और अन्य एंटीऑक्सीडेंट का लेवल बढ़ जाता है. जो शरीर में मुक्त कणों को साफ करते हैं और उपचार में मदद करते हैं. और सूंघने और स्वाद की क्षमता में सुधार होता है.


2 सप्ताह में व्यायाम करने की क्षमता में सुधार होता है और ब्लड सर्कुलेशन और ऑक्सीजन के लेवल में सुधार होता है.


1 महीने के बाद, निकोटीन का असर धीरे-धीरे कम हो जाएगा आप एनर्जेटिक महसूस करेंगे. 


3 महीने में, व्यायाम करने की क्षमता में सुधार होता है और फेफड़े टार, बलगम और धूल को फेफड़ों निकलकर नैचुरल तरीके से ठीक होने लगते हैं.


6 महीने में, खांसी ठीक हो जाती है.


1 साल में दिल की बीमारी का जोखिम आधा हो जाता है. 10 साल में कैंसर का जोखिम आधा हो जाएगा और फेफड़ों में सभी असामान्य कोशिकाएं सामान्य हो जाएंगी.


 15 से 20 साल में स्ट्रोक या हृदय रोग का जोखिम धूम्रपान न करने वाले व्यक्ति के बराबर हो जाता है. तंबाकू छोड़ने के बाद जिंदगी और भी ज्यादा बेहतर हो जाती है. साथ ही पैसा भी बच पाता है. परिवार के सदस्यों को सेकेंड हैंड स्मोकिंग का शिकार होने से बचाने में मदद मिलती है और पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने में भी मदद मिलती है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 


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