किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए शुरुआती जांच रेडियोग्राफी ही होती है. इसके जरिए इलाज कि शुरुआत किस तरीके से करनी है इसकी प्लानिंग की जाती है. रेडियोग्राफी के जरिए यह भी पता लगया जाता है कि बीमारी गंभीर है या नहीं . इमेजिंग तकनीक जोखिम भरे ओपन सर्जरी इलाज की जरूरत है या नहीं इसमें भी यह मदद करता है. रेडियोलॉजिस्ट मरीज के इलाज में अगला फैसला क्या करना है इसी के आधार पर करते हैं. जैसे कि बायोप्सी करना है या कोई दवा लिखनी है.
हड्डियों के फ्रैक्चर: एक्स-रे से टूटी हुई हड्डियों, अव्यवस्थित जोड़ों और हड्डियों, जोड़ों या कोमल सेल्स-टिश्यूज में अन्य संरचनात्मक समस्याओं का पता लगाया जा सकता है.
फेफड़ों की समस्याएं: एक्स-रे से निमोनिया, फेफड़ों के कैंसर और फेफड़ों की अन्य समस्याओं की पहचान करने में मदद मिल सकती है.
दांतों की समस्याएं: एक्स-रे से दांतों की सड़न, ढीले दांत और दांतों के फोड़े की पहचान करने में मदद मिल सकती है.
कैंसर: एक्स-रे से कुछ ट्यूमर और अन्य असामान्य द्रव्यमान का पता लगाने में मदद मिल सकती है.
दूसरी तरह की चोटें: एक्स-रे से कुछ प्रकार की चोटों की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जैसे स्कोलियोसिस (रीढ़ की असामान्य वक्रता)
विदेशी वस्तुएं: एक्स-रे से शरीर में विदेशी वस्तुओं की पहचान करने में मदद मिल सकती है.
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निगलने की समस्याएं: एक्स-रे से डिस्फेगिया (निगलने की समस्याएं) की पहचान करने में मदद मिल सकती है.
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रेडियोलॉजी का सबसे महत्वपूर्ण काम यह है कि बीमारी कितनी गंभीर है इसका पता लगाना है, जिसमें रोग का पता लगाने, स्टेजिंग और उपचार के लिए उपकरणों और तकनीकों का विस्तृत विकल्प उपलब्ध है. डायग्नोस्टिक इमेजिंग संरचनात्मक या रोग संबंधी परिवर्तनों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करती है. प्रारंभिक निदान से जान बचती है.
इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट अक्सर कैंसर या ट्यूमर, धमनियों और नसों में रुकावट, गर्भाशय में फाइब्रॉएड, पीठ दर्द, यकृत की समस्याओं और गुर्दे की समस्याओं के इलाज में शामिल होते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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