गर्भधारण करने में ऐसी महिलाओं को आती है सबसे ज्यादा परेशानी
World Tuberculosis Day: आज के समय में महिलाओं के गर्भधारण ना कर पाने का कारण सिर्फ लाइफस्टाइल या स्ट्रेस ही नहीं बल्कि पेल्विक टीबी भी है. हाल ही में डॉक्टर्स ने इस बारे में बड़ा खुलासा किया है. जानिए, क्या कहते हैं एक्सपर्ट.
नई दिल्ली: आज के समय में अधिक उम्र, जीवनशैली, काम का बोझ, तनाव के कारण महिलाएं गर्भधारण नहीं कर पाती. लेकिन हाल ही में डॉक्टर्स ने खुलासा किया है कि इन सबके अलावा महिलाओं के मां ना बनने का एक और कारण है. चलिए जानते हैं क्या है वो.
इंदिरा आईवीएफ हास्पिटल कि आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. सागरिका अग्रवाल का कहना है कि पेल्विक टीबी से पीड़ित महिलाओं में से 10 में से दो महिलाएं प्रेगनेंट नहीं हो पाती. डॉ. सागरिका का ये भी कहना है कि महिलाओं में जननांगों की पेल्विक टीबी के 40-80 फीसदी मामले देखे गए हैं.
किन लोगों को होता है पेल्विक टीबी - पेल्विक टीबी आमतौर पर उन लोगों को होता है जिनका या तो इम्यून सिस्टम कमजोर है या फिर वे पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में रहते हैं. डॉ. सागरिका के मुताबिक, इंफेक्टिड व्यक्ति जब खांसता या छींकता है तब बैक्टरिया हवा में फैल जाते हैं और जब हम सांस लेते हैं ये हमारे फेफड़ों में चले जाते हैं. इसके अलावा इंफेक्टिड व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाना भी जननांगों की पेल्विक टीबी होने का एक कारण है.
क्या हैं पेल्विक टीबी के लक्षण- ये बैक्टीरिया साइलेंट तरीके से आक्रमण करने वाला है इसलिए उन लक्षणों को पहचानना बहुत मुश्किल है कि पेल्विक टीबी महिलाओं में प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर रही है. इसमें अनियमित पीरियड्स, यौन सबंधों के पश्चात दर्द होना, योनि से कभी-कभी खून के स्पॉट आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं लेकिन कई मामलों में ये लक्षण काफी बढ़ जाने के पश्चात दिखाई देते हैं.
कैसे करें पेल्विक टीबी की पहचान- डॉ. सागरिका अग्रवाल ने कहा हालांकि प्रजनन मार्ग में पेल्विक टीबी की उपस्थिति की पहचान करना मुश्किल है, फिर भी कई तकनीकें हैं जिनके द्वारा इस रोग की पहचान की जाती है जैसे जो महिला पेल्विक टीबी से पीड़ित है उसकी ट्यूबल ट्यूब्स और गैस्टेशनल के नमूने लिए जाते हैं और उन्हें लैब में भेजा जाता है, जहां बैक्टीरिया विकसित होते हैं और बाद में उन्हें जांच के लिए भेजा जाता है.
इसकी सबसे विश्वसनीय पद्धति है कि पेल्विक टीबी करने वाले बैक्टीरिया की हिस्टो लॉजिकल डायग्नोसिस पहचान की जाए, जो डॉक्टर्स को लैप्रोस्कोपी में यह सुनिश्चित करने में सहायता करते हैं कि ये घाव टीबी के कारण है या नहीं. इसके डायग्नोसिस के लिए पॉलीमरैज चेन रिएक्शन पद्धति का भी प्रयोग किया जाता है, लेकिन ये बहुत महंगी है और विश्वसनीय भी नहीं है.
पेल्विक टीबी का इलाज- कई डॉक्टर इन नलियों को ठीक करने के लिए सर्जरी करते हैं, लेकिन यह कारगर नहीं होती है. अंत में संतानोत्पत्ति के लिए इन-व्रिटो फर्टिलाइजेशन की सहायता लेनी पड़ती है. उन वयस्कों में पेल्विक टीबी का इंफेक्श्न जल्दी फैलता है जो कुपोषण के शिकार होते हैं, क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इसलिए उपचार के दौरान खानपान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
पेल्विक टीबी से बचाव- पेल्विक टीबी के मरीजों को एटरैटेड प्रोडक्ट्स, अल्कोहल, संसाधित मांस और मीठी चीजों जैसे पाई, कप केक आदि के सेवन से बचना चाहिए. उनके भोजन में पत्तेदार सब्जियां, विटामिन डी और आयरन के सप्लीमेंट्स, साबुत अनाज और असंतृप्त वसा होना चाहिए.
डॉ. सागरिका ने बताया कि भोजन पेल्विक टीबी के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, अनुपयुक्त भोजन से उपचार असफल हो सकता है और द्वितीय इंफेक्शचन का खतरा बढ़ सकता है. ये खबर एक्सपर्ट के दावे पर है. एबीपी न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. किसी भी सुझाव पर अमल करने से पहले अपने एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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