नई दिल्ली : कोरोना वायरस चीन के बाद भारत में भी हड़कंप मचा रहा है. शुरूआत में कहा जा रहा था कि कोरोना वायरस चमगादड़ और सांप के जरिए फैल रहा है. लेकिन अब पैंगोलिन भी संदेह के घेरे में हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि पैंगोलिन और कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति के जीनोम में 99 प्रतिशत समानता है. आपको बता दें कि चीन में पैंगोलिन का मांस बड़े चाव से खाया जाता है.


कौन-सा जानवर है पैंगोलिन

पैंगोलिन को भारत के अधिकतर हिस्सों में सल्लू सांप के नाम से जाना है. यह एक स्तनधारी जीव है. पैंगोलिन के शरीर पर स्केलनुमा संरचना बनी होती है जिससे यह खूंखार जानवरों से अपनी रक्षा करता है. दवाओं और अंधविश्वास के काऱण लोग इनका बड़े पैमाने पर शिकार करते हैं. इस वजह से यह विलुप्ति की कगार पर है. पैंगोलिन का मुख्य आहार चींटी और दीमक हैं. इसीलिए इसे कई जगह चींटीखोर भी कहा जाता है.

पैंगोलिन का कोरोना कनेक्शन

चीन के कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि पैंगोलिन भी कोरोना वायरस की मुख्य वज़ह हो सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि पैंगोलिन और कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति के जीनोम में 99 प्रतिशत समानता है. इससे पहले दावा किया जा रहा था कि चमगादड़ और सांपों से कोरोना वायरस फैला है. लेकिन इसकी भी कोई पुष्टि नहीं हो सकी है. चीन में पैंगोलिन का मांस काफी पसंद किया जाता है तो हो सकता है कि वैज्ञानिकों का यह नया दावा किसी हद तक सही हो.

24 हजार रुपये किलो है पैंगोलिन की खाल, दवाओं में भी होता है प्रयोग

अफ्रीका और एशिया में पाए जाने वाले पैंगोलिन का पूरे विश्वभर में बाजार है. इसकी खाल 24 हजार रुपये किलो तक बिकती है. कहीं-कहीं पर इसकी खाल और मांस को दवाओं के लिए प्रयोग किया जाता है तो कई देशो के लोग इसका मांस बड़े चाव से खाते हैं. इन देशों में चीन प्रमुख है. हालांकि चीन में पैंगोलिन बेचना गैरकानूनी है. ऐसा करते पाए जाने पर 10 साल की सजा का प्रावधान भी है.

दवाओं से लेकर अंधविश्वास तक पैंगोलिन पर भरोसा

पैंगोलिन पर पढ़े लिखे चिकित्सकों के अलावा अंधविश्वासी लोग भी भरोसा करते हैं. जहां पैंगोलिन की खाल से बुखार, मलेरिया, बहरापन और बच्चों के कई रोगों का इलाज किया जाता है. इसके अलावा भारत समेत अन्य देशों में भूत-प्रेत भगाने और झाड़-फूंक के जरिए कई रोगों के इलाज में पैंगोलिन को प्रयोग खूब किया जाता है.