क्या आप रोजाना सुबह सही से फ्रेश होते हैं? अब आप भी सोच रहे होंगे कि हम कैसा सवाल पूछ रहे हैं? दरअसल, सुबह-सुबह सही से पॉटी नहीं जाना पूरे दिन के लिए आपके मूड को खराब कर सकता है. हो सकता है कि आपको यह बात जानकर झटका लगे, लेकिन यही हकीकत है. बता दें कि पॉटी जाना हमारे शरीर का बेसिक फंक्शन है, लेकिन हमारी सेहत के लिए बेहद जरूरी है. हालांकि, हम इसके बारे में बात करना पसंद नहीं करते, क्योंकि यह हमें अजीब लगता है. गौर करने वाली बात यह है कि पॉटी का कलर, उसका टेक्स्चर और उसकी फ्रीक्वेंसी आपकी सेहत के बारे में काफी कुछ बयां कर देती है. आइए एक्सपर्ट्स के हवाले से आपको पॉटी के बारे में सबकुछ बताते हैं.
पॉटी में क्या-क्या होता है?
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पॉटी में करीब 75 फीसदी पानी होता है. इसके अलावा बाकी हिस्सा फाइबर, बैक्टीरिया और ऐसी कोशिकाएं होती हैं, जिनकी शरीर को जरूरत नहीं होती. आपकी पॉटी ही आपकी सेहत के बारे में सब कुछ बता देती है. इसके रंग-स्थिरता से लेकर फ्रीक्वेंसी और गंध से आपकी डाइजेस्टिव हेल्थ के बारे में जानकारी मिलती है. अगर पॉटी में किसी तरह का बदलाव होता है तो इससे भोजन संबंधित दिक्कतों के साथ-साथ अन्य समस्याओं का संकेत मिलता है. ऐसे में फ्लश करने से पहले इस पर भी ध्यान देने की जरूरत होती है.
रंग से किस बात की मिलती है जानकारी?
दिल्ली स्थित सीके बिरला अस्पताल में गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी डिपार्टमेंट में कंसल्टेंट डॉ. विकास जिंदल ने बताया कि पॉटी के रंग से शरीर के बारे में जानकारी मिलती है. अगर पॉटी का रंग ब्राउन है तो ऐसा लिवर से पित्त आने की वजह से होता है. इसके अलावा पॉटी स्मूद-सॉफ्ट, एकदम आराम से हो रही है तो इसका मतलब यह है कि आप एकदम सेहतमंद हैं. कई बार पॉटी का रंग एकदम हरा हो सकता है तो इसका मतलब यह है कि आपने खाने में सब्जियां ज्यादा खाई हैं. अगर पॉटी का रंग पीला है कि आपका खाना सही से पच नहीं रहा है. काले रंग की पॉटी का मतलब अपर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल में ब्लीडिंग होता है. वहीं, लाल रंग की पॉटी लोअर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल में ब्लीडिंग का संकेत देती है. अगर पॉटी कंकड़ जैसी हो रही है तो यह कब्ज होने की निशानी है तो मटमैले रंग की पॉटी से दस्त की दिक्कत होने का पता लगता है. लिक्विड पॉटी का मतलब दस्त होता है, जो अक्सर इंफेक्शन या एलर्जी की वजह से होता है.
क्या रोजाना पॉटी जाना जरूरी होता है?
अक्सर लोगों को लगता है कि अगर वे रोजाना पॉटी नहीं जाते हैं तो उनकी सेहत सही नहीं है. आइए इसका जवाब जानते हैं. डॉ. जिंदल के मुताबिक, अधिकतर लोग रोजाना पॉटी जाते हैं, लेकिन हर किसी के लिए रोजाना फ्रेश होना जरूरी नहीं है. सामान्य रूप से पॉटी जाने की फ्रीक्वेंसी दिन में तीन बार से लेकर सप्ताह में तीन बार तक हो सकती है. डॉक्टर का कहना है कि पॉटी जाने के मामले में फ्रीक्वेंसी जरूरी नहीं, बल्कि आपका पैटर्न ज्यादा अहम होता है. भले ही आप रोजाना पॉटी जाएं या एक दिन छोड़कर. हर मामले में रेगुलैरिटी ज्यादा अहम होती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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