काफी समय से ब्लैडर कैंसर से जूझ रहे विनोद खन्ना का 27 अप्रैल को निधन हो गया. मुंबई के एचएन रिलायंस फाउंडेशन एंड रिसर्च सेंटर में विनोद खन्ना का इलाज चल था. विनोद को शरीर में पानी की कमी के चलते 31 मार्च को सर एच एन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल में भर्ती कराया गया था.आपको बता दें, विनोद खन्ना 2010 से कैंसर से जूझ रहे थे.



एबीपी न्यूज ने जेपी हॉस्पिटल के डायरेक्टर ऑफ रे‍डिएशन ओन्कोलॉजिस्ट से ब्लैडर कैंसर के बारे में बात की. चलिए जानते हैं क्या है ब्लैडर कैंसर, ये क्यों होता है और इसका रिस्क किसे रहता है.


क्या होता है ब्लैडर कैंसर?



ब्लैडर हमारे यूरिनरी सिस्टम का हिस्सा होता है. जिसके जरिए यूरिन बाहर आता है. ब्लै‍डर के अंदर की जो झिल्ली होती है उसके सेल्स यानि कोशिकाओं के अनियंत्रि‍त तरीके से बढ़ने को ब्लै‍डर कैंसर कहा जाता है.


लक्षण-





  • यूरिन में खूब आना सबसे बड़ा सिम्टम है. हो सकता है दर्द ना हो लेकिन पेशाब लाल रंग का होता है.

  • कभी-कभी पेट के निचले हिस्से में दर्द होना.

  • एडवांस स्टेज में यूरिन के साथ छोटे-छोटे मांस बाहर आने लगते हैं.

  • इसके अलावा कभी-कभार यूरिन में जलन और यूरिन का रूकना भी एक सिम्टम हो सकता है.


इन लोगों को रहता है ज्यादा खतरा-





  • बहुत ज्यादा स्मो‍किंग करने से

  • लंबे समय तक यूरिनरी ब्लैडर में स्टोन का पड़ा रहना.

  • जिन लोगों को बार-बार यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्श्न होता है

  • जो लोग कपड़े रंगने का काम करते हैं उन्हें बहुत रिस्क रहता है.

  • बहुत ज्यादा सैकरीन आर्टिफिशयल स्वीटनर्स के सेवन से

  • 60 से 70 साल तक के लोगों को अधिक रिस्क रहता है.

  • एल्कोहल भी इसका एक कारण हो सकता है लेकिन ये इतना बड़ा कारण नहीं है.


रिस्क और इलाज- ब्लैडर कैंसर दो तरह का होता है.



स्लो ग्रोइंग-




  • इसमें ब्लैडर ट्यूमर बहुत ज्यादा अंदर नहीं जाता.

  • इसे दूरबीन से आसानी से निकाला जा सकता है.

  • इस स्टेज में ब्लैडर का इलाज आसानी से हो सकता है.

  • इसमें लोग लंबे समय तक ठीक रहते हैं. 70 से 75 पर्सेंट तक चांस रहता है कि ब्लैडर कैंसर दोबारा नहीं होगा. हालांकि इसमें भी 25 पर्सेंट तक ही चांस दोबारा ब्लैडर कैंसर रहने का रहता है.


मल्टीपल ग्रोइंग-




  • इसमें ब्लैडर ट्यूमर मल्‍टीपल जगह पर होता है.

  • ब्लैडर में अंदर तक ट्यूमर चला गया तो ये खतरनाक वाला ट्यूमर होता है और इसके फैलने के चांस भी बहुत ज्यादा होते हैं. ये खून के जरिए दूसरी जगहों जैसे ग्लैंड, लीवर या अन्य पार्ट में पहुंच सकता है.

  • इस ब्लैडर कैंसर में 40 से 50 पर्सेंट तक के मामलों में डेथ हो सकती है.

  • इसमें सर्जरी की जाती है. पूरा यूरिनरी ब्लैडर निकाल दिया जाता है.

  • इसके अलावा कीमोथेरपी और रेडियोथेरेपी मिलाकर ट्यूमर को बहुत हद तक कंट्रोल किया जा सकता है.


डायग्नोज-



यूरिन टेस्ट और अल्ट्रासाउंड करवाएं जाते हैं. अल्ट्रासाउंड से बहुत जल्दी ब्लैडर कैंसर पकड़ में आ जाता है. फर्स्ट स्टेज में ही ब्लैडर कैंसर से अलर्ट हुआ जा सकता है.