Child Care Tips: आज के दौर में फोन ही जीवन का आधार हो गया है. हर किसी को स्मार्टफोन और इंटरनेट की लत लगी है. बड़े तो बड़े बच्चे भी इससे काफी ज्यादा चिपके रहते हैं. कोरोना काल के बाद से स्मार्टफोन ने नई पीढ़ी के बच्चे को काफी प्रभावित किया है. अगर आप का भी बच्चा हर वक्त फोन से चिपका रहता है तो आपको सतर्क होने की जरूरत है क्योंकि यह थोड़ी देर कि एंटरटेनमेंट आपके बच्चे के जीवन पर ग्रहण लगा सकती है. आपका बच्चा मानसिक और शारीरिक तौर पर बीमार हो सकता है.
डिप्रेशन की समस्या: मोबाइल की जरूरत से ज्यादा उपयोग से आपका बच्चा डिप्रेशन का शिकार हो सकता है. इसके साथ ही आपका बच्चा बहुत ज्यादा चिड़चिड़ा और गुस्सैल बन सकता है. दरअसल ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मोबाइल के अधिक इस्तेमाल से बचा बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं कर पाता है, ऐसे में जब बाद में आदत बदलने की कोशिश की जाती है तो वह आक्रमक चिड़चिड़ा और डिप्रेशन में चला जाता है.
शारीरिक विकास में बाधा:कम उम्र में ही स्मार्ट फोन चलाने की वजह से बच्चे सामाजिक तौर पर विकसित नहीं हो पाते हैं. बाहर खेलने ना जाने की वजह से उनके व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता है इसके अलावा उन्हें वह वातावरण नहीं मिल पाता है जो उन्हें सेहतमंद रख सकें. शारीरिक तौर पर बच्चे कमजोर होने लगते हैं.
ब्रेन ट्यूमर: अगर आपका बच्चा ज्यादा मोबाइल देखता है तो उसको ट्यूमर होने की संभावना हो सकती है. एक स्टडी में पाया गया है कि मोबाइल से निकलने वाली रेडिएशन की वजह से बच्चे को ट्यूमर हो सकता है. मोबाइल बच्चों के ब्रेन ट्यूमर के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है.
दिमाक का विकास ना होना:एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि 10 साल तक के बच्चे अगर 7 घंटे से ज्यादा मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं तो उनके दिमाग पर गहरा असर पड़ता है ज्यादा समय मोबाइल फोन पर चिपके रहने से बच्चों के दिमाग की बाहरी परत पतली पड़ जाती है इसे दिमाग की ग्रोथ पर भी बुरा असर पड़ता है.
ड्राई आई की समस्या: बच्चों का स्मार्टफोन की स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताना आंखों में सूखे पन का कारण बन सकता है. कम उम्र में ही बच्चों को चश्मा लगने लग जाता है, उनकी आंखों का नंबर बढ़. जाता है इतना नहीं कई बार इस से सिरदर्द जैसी समस्या और माइग्रेन जैसी परेशानी हो सकती है.
बच्चों को इन तरीके से मोबाइल से दूर रखें
1.बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बताएं इससे आपका बच्चा मोबाइल का इस्तेमाल धीरे-धीरे बंद कर देगा.
2.खाली समय में बच्चे की कैपेसिटी के मुताबिक घरेलू कामों में उसका सहयोग ले इससे. बच्चा आत्मनिर्भर बनेगा और व्यवहारिक चीजें भी सीखेगा.
3.शौक के हिसाब से बच्चे को पेंटिंग डांस म्यूजिक और अन्य क्लासेस जॉइन करा सकते हैं.
4.बच्चों को आउटडोर गेम के लिए प्रोत्साहित करें