नयी दिल्ली: युवाओं में अल्जाइमर्स और डिमेंशिया की जानकारी के स्तर का पता लगाने के लिए एक निजी अस्पताल द्वारा कराये गये सर्वे में पता चला है कि 85 प्रतिशत नौजवानों को अल्जाइमर की समस्या के बारे में पता ही नहीं है वहीं 91 प्रतिशत युवक भूलने की समस्या को बीमारी ही नहीं मानते.



वर्ल्ड अल्जाइमर रिपोर्ट 2015 के अनुसार, आज दुनियाभर में 4.6 करोड़ से ज्यादा लोग डिमेंशिया के साथ रह रहे हैं और 2050 तक यह संख्या 1.30 करोड़ से ज्यादा होने की आशंका जताई गयी है. इस समस्या से ग्रस्त लोगों के मामले में पहले 10 देशों में भारत तीसरे स्थान पर है और यहां 41 लाख लोग डिमेंशिया से ग्रस्त हैं.

फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन ढल अस्पताल में न्यूरोलॉजी विभाग की कंसल्टेंट डॉ माधुरी बिहारी के नेतृत्व में कराये गये सर्वेक्षण में युवाओं में अल्जाइमर की जानकारी के स्तर का पता लगाया गया. पिछले साल दिसंबर और इस साल जनवरी के दो महीने में 15 से 40 साल के 2000 लोगों ने इसमें भाग लिया.

सर्वे के नतीजों में यह बात सामने आई कि 91 प्रतिशत लोग भूलने की समस्या को बीमारी नहीं मानते. 85 प्रतिशत युवाओं को अल्जाइमर के बारे में पता ही नहीं था.

डॉ माधुरी के अनुसार, भारत में हर मिनट किसी को डिमेंशिया होता है. इस समस्या में केवल उपचार नहीं बल्कि परिवार के सदस्यों की देखभाल भी बहुत जरूरी है. उनका जीवन अपने परिजनों पर आश्रित हो जाता है. यह समस्या हल्की-फुल्की भूलने की समस्या से शुरू होती है और इस स्तर तक पहुंच जाती है जहां कोई व्यक्ति अपने करीबी परिजनों तक को नहीं पहचान पाता.

उन्होंने बताया कि ये लक्षण धीरे-धीरे दिखने शुरू होते हैं और बढ़ते जाते हैं.

विशेषज्ञ इस दिशा में जागरकता की जरूरत बताते हुए कहते हैं कि सुडोकू जैसी पहेलियों का हल निकालने और मस्तिष्क को अन्य ऐसी गतिविधियों में लगाना भी महत्वपूर्ण है.