मेडिसिन बनाने वाली अहमदाबाद की प्रमुख कंपनी जायडस कैडिला ने अपनी एंटीबॉडी कॉकटेल दवा के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति मांगी है. कंपनी ने कोरोना के उन मरीजों के लिए इस दवा के ट्रायल की अनुमति मांगी है जिनमें संक्रमण के माइल्ड लक्षण होते हैं. इसका नाम ZRC-3308 रखा गया है. इस से पहले स्विट्जरलैंड की दवा कंपनी रोश इंडिया और सिप्ला ने सोमवार को भारत में रोश की एंटीबॉडी कॉकटेल लॉन्च की थी. गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कोरोना के एक मरीज को इस एंटीबॉडी कॉकटेल ड्रग की डोज दी गयी थी. 


देश कोरोना की दूसरी लहर के बीच वैक्सीन की कमी से भी जूझ रहा है. इसके चलते 18 वर्ष से 44 वर्ष आयुवर्ग के लिए शुरू किए गए कई वैक्सिनेशन सेंटर बंद करने पड़े हैं. जायडस कैडिला के मैनेजिंग डायरेक्टर (MD) शर्विल पटेल ने कहा, "इस समय कोरोना महामारी के खिलाफ ज्यादा सुरक्षित और कारगर इलाज के तरीकों को खोजने की जरुरत है." कंपनी ने बताया, "हमनें कोरोना के मरीजों पर अपनी एंटीबॉडी कॉकटेल दवा का क्लिनिकल ट्रायल करने को लेकर ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) से अनुमति मांगी है."


कंपनी के अनुसार, जानवरों पर किए गए ट्रायल में इस एंटीबॉडी कॉकटेल को उनके फेफड़ों की क्षति को कम करने में असरदार पाया गया था. साथ ही इसे बेहद सुरक्षित और सहन करने योग्य पाया गया था. इस थेरेपी में दो मोनोक्लोनल एंटीबॉडी के कॉकटेल का इस्तेमाल होता है, जो संक्रमण से लड़ने के लिए हमारे शरीर में प्राकृतिक तौर पर पैदा होने वाले एंटीबॉडी की नकल तैयार करता है.


रोश और रेजेनरॉन कंपनी के एंटीबॉडी कॉकटेल को मिल चुकी है मंजूरी 


इस से पहले रोश और रेजेनरॉन कंपनी के एंटीबॉडी कॉकटेल को भारत में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिल चुकी है. सेंट्रल ड्रग एंड स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने हाल ही में भारत में रोश और सिप्ला लिमिटेड की एंटीबॉडी कॉकटेल (Casirivimab and Imdevimab) के लिए एक इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन (EUA) दिया है. इस दवा को अमेरिका और कई यूरोपीय यूनियन देशों में भी मंजूरी मिली है. 


ये दवा माइल्ड से मॉडरेट कोरोना संक्रमित मरीजों को दी जा सकती है. वयस्कों और 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के अलावा माइल्ड से मॉडरेट लक्षण वाले कोरोना के मरीज और ऐसे मरीज जिन्हें गंभीर रोग विकसित होने का हाई रिस्क है और उन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं है को ये एंटीबॉडी कॉकटेल दिया जा सकता है. ये एंटीबॉडी उच्च जोखिम वाले रोगियों की स्थिति खराब होने से पहले, अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के जोखिम को 70 प्रतिशत तक कम करने में सहायक है. इस ड्रग से मरीज के शरीर में तेजी से एंटीबॉडी बनती है जो शरीर में वायरल को कम करती है. साथ ही इससे शरीर में कोरोना के लक्षण का समय भी कम हो जाता है. कोरोना के लक्षण के समय को कम करने के साथ साथ ही इसके इस्तेमाल से मृत्यु दर में भी कमी आती है. 


यह भी पढ़ें 


Corona Vaccination in India: जानिए- भारत में वैक्सीनेशन की रफ्तार कैसी है, दुनिया के मुकाबले भारत कहां खड़ा है?


क्या कोरोना वायरस चीन से आया है, बाइडेन ने खुफिया विभाग से 90 दिन के अंदर पता लगाने को कहा