जीबी पंत अस्पताल, नई दिल्ली के डॉक्टरों ने कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों को दिल संबंधी दिक्कतों पर लंबे समय तक जांच की सलाह दी है. अस्पताल ने 134 मरीजों को रिसर्च में शामिल कर दिल के काम का आकलन करने के लिए इमेजिंग टेस्ट से गुजारा, ये सभी कोविड-19 से पूरी तरह ठीक हो चुके थे. नतीजे से पता चला कि करीब हर तीन मरीजों में से एक को बाएं वेंट्रिकुलर डिसफंक्शन है जबकि 11 फीसद को दाएं वेंट्रिकुलर डिसफंक्शन है.


कोविड  से उबरने के बाद भी खत्म नहीं होती दिक्कतें


वेंट्रिकुलर डिसफंक्शन को दिल के ब्लड पम्पिंग क्षमता का प्रभावित होना कहा जाता है, जबकि बाएं वेंट्रिकुलर डिसफंक्शन दिल के फेल्योर का एक शुरुआती चरण है. दिल के दाहिने एवं बाएं, प्रत्येक ओर दो चैम्बर (एट्रिअम एवं वेंट्रिकल नाम के) होते हैं. कुल मिलाकर हृदय में चार चैम्बर की जिम्मेदारी शरीर के सभी टिश्यू में ऑक्सीजन युक्त ब्लड को पंप करने और ऑक्सीजन भेजने की होती है.


अस्पताल में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर डॉक्टर मोहित गुप्ता ने टाइम्स ऑफ इंडियो को बताया कि बाएं वेंट्रिकल में डिसफंक्शन उन मरीजों में भी देखा गया जो कोविड-19 के हल्के लक्षण या बिना लक्षण के बाद ठीक हो गए थे. हृदय प्रणाली पर कोविड-19 के लंबा प्रभाव की वजह अभी भी साफ नहीं है. लेकिन, ये साफ है कि दिल के मसल पर कोविड-19 का लक्षणहीन प्रभाव पड़ता है. ऐसे रोगियों को तीन से छह महीनों तक मसल को पहुंचनेवाले नुकसान का पता लगाने के लिए जांच कराना उचित होगा.


दिल पर प्रभाव का पता लगाने के लिए जांच की सलाह


उन्होंने बताया कि लंबे समय तक दिक्कतों की जांच से समय रहते दिल के काम और संभावित पेचीदगियों पर कोविड-19 के प्रभाव का पता चल जाएगा. डॉक्टर गुप्ता ने रिसर्च करने का मकसद बताते हुए कहा कि अस्पताल के कार्डियक ओपीडी में कोविड-19 से उबर चुके मरीजों की संख्या में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी देखी गई और पहली लहर के बाद उनको सांस फूलने, घबराहट और थकान जैसे लक्षण थे.


डॉक्टरों का कहना है कि कोविड-19 के दौरान दिल को नुकसान कई फैक्टर जैसे ऑक्सीजन की मांग -आपूर्ति में असंतुलन होने, हाइपोक्सिया, दिल के मसल को चोट और साइटोकाइन स्ट्रोम से होता है. शोधकर्ता डॉक्टर गिरीश एमपी ने बताया कि कोविड-19 के किसी आम लक्षण से ठीक हो चुके मरीजों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. अलबत्ता, जिन लोगों को मध्यम और गंभीर कोविड-19 की बीमारी थी और उनको सांस फूलने और घबराहट जैसे लक्षण नजर आए, उनको चाहिए कि दिल के मसल को नुकसान की जांच कराएं. 


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