बेंगलुरु: दुनिया के आठ सबसे अमीर लोगों की कुल संपत्ति दुनिया की आधी आबादी (3.6 अरब लोग) की संपत्ति के बराबर है. 19 सोशल ऑर्गनाइजेशंस के इंटरनेशनल को-फेडरेशन ऑक्‍सफेम की एक रिसर्च में ये बात सामने आई.

स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की एनुअल मीटिंग शुरू होने से पहले जारी रिसर्च में दावा किया गया है कि दुनिया की 3.6 अरब आबादी के पास जितनी संपत्ति है, उतनी ही दौलत मात्र आठ लोगों के पास है. इन सभी आठों लोगों ने इसे अपनी कूवत से नहीं कमाया है, बल्कि उन्हें यह विरासत में मिली है या फिर भ्रष्टाचार से भरे उद्योगों के माध्यम से कमाई गई है.

रिसर्च में इस बात का जिक्र किया गया है कि भारत में सांसदों ने कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) के वेतन अनुपात को सार्वजनिक करने के लिए साल 2013 में एक 'डिस्क्लोजर मैनडेट' पारित किया, जो लोगों को कंपनी के अंदर वेतन में असमानता की जानकारी देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए स्‍टडी में दावा किया गया है कि सीईओ को औसत आय से बेहद ज्यादा वेतन केवल संपन्न देशों में ही नहीं मिलता. भारत जैसे देश में सिगरेट बनाने वाली एक कंपनी के सीईओ को कंपनी के कर्मचारियों के औसत वेतन से 439 गुना अधिक वेतन मिलता है.

रिसर्च के मुताबिक, "इसी तरह, किसी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी में सीईओ को कंपनी के कर्मचारियों के औसत वेतन से 416 गुना अधिक वेतन मिलता है."

रिसर्च में कहा गया है कि वर्तमान परंपरा के मुताबिक महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन मिलने में 170 साल लगेंगे.