Home Tips: मच्छरों ने मुश्किल कर दिया है जीना तो घर में रख लीजिए यह घास, एक भी मच्छर नहीं फटकेगा पास
Natural Mosquito Repellent: मच्छरों ने परेशान कर रखा है तो देसी तरीकों से भी राहत पा सकते हैं. आइए आपको ऐसे ही एक तरीके के बारे में बताते हैं
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गर्मियों में एक तरफ चिलचिलाती धूप तेल निकाल देती है तो रात में उमस जीना मुहाल कर देती है. इन सबके साथ मच्छर हर किसी का ऐसा हाल कर देते हैं कि पूरी रात मच्छरों से जंग लड़ते-लड़ते गुजर जाती है तो दिन नींद की कमी से ऊंघते-ऊंघते किसी तरह गुजारा जाता है. वैसे गर्मी से तो एसी-कूलर और पंखा चलाकर निपट लिया जाता है, लेकिन किसी भी हाल में मच्छरों का तोड़ नहीं मिलता. एक से बढ़कर एक मॉस्क्यूटो रेप्लिकेंट भी काम नहीं आते हैं या सिर्फ कुछ घंटे की राहत दे पाते हैं. अगर आप भी रोजाना ऐसी जद्दोजहद करते हैं तो आपको ऐसी घास के बारे में बता रहे हैं, जिसे घर में रखने से ही मच्छर पास नहीं फटकते हैं.
यह घास बेहद खास
पहाड़ी इलाकों में एक खास पौधा पाया जाता है, जो देखने में तो बेहद आम होता है, लेकिन इसके काम काफी खास हैं. इसका नाम कुंजा घास है, जो अपने गुणों की वजह से जाना जाता है. खास बात यह है कि यह पहाड़ी इलाकों में बेहद आसानी से मिल जाता है. हालांकि, अलग-अलग इलाकों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है.
पास नहीं फटकते हैं मच्छर और कीट-पतंगे
पहाड़ी इलाकों में मिलने वाली कुंजा घास औषधीय होने के साथ-साथ बेहद सुगंधित भी होती है. इसमें कई मेडिसिनल प्रॉपर्टी भी होती हैं, जिसकी वजह से यह बाकी पौधों से ज्यादा खास है. इसमें एंटी मलेरियल गुण भी होते हैं. अगर आप अपने शरीर इस इसकी पत्तियों का लेप लगा लेंगे तो कीट पतंगे पास नहीं फटकेंगे. इसके अलावा घर में यह घास रखने पर मच्छर भी दूर भाग जाते हैं.
इन बीमारियों में भी आती है काम
कुंजा घास कई अन्य बीमारियों में भी काम आती है. इसमें 11 फीसदी कैंपर और सबीन कंपाउंड होता है. इसके अलावा 19 फीसदी बीटा ओजोन भी मिलता है. एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल प्रॉपर्टी की वजह से यह घास स्किन से जुड़ी बीमारियों में भी काफी काम आती है. इसका तेल बेहद कीमती होता है, जिसकी काफी ज्यादा डिमांड रहती है.
अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नाम
गौर करने वाली बात है कि इस घास को अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नाम से पुकारा जाता है. जैसे गढ़वाल में इसे कुंजा घास कहते हैं, जबकि कुमाऊं रीजन के लोग इसे पाती कहते हैं. वहीं, नेपाल में इसे तीता पाती कहकर इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में अगर आप दो-तीन फुट ऊंचे और बिना फूल वाले इस पौधे का कोई नया नाम सुनें तो हैरान न हों.
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