डेटिंग एप्स पर कैसे बनती है जोड़ियां, क्या इसमें भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का होता है कनेक्शन?
डेटिंग ऐप्स के पीछे एक खास तरह की तकनीक काम करती है जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कहते हैं. आइए जानते हैं यह कैसे काम करता आपकी जोड़ियां बनाने में..
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Dating Apps : आज के डिजिटल युग में, ऑनलाइन डेटिंग एक बहुत ही लोकप्रिय प्लेटफॉर्म बन गया है जहां लोग अपने साथी की तलाश कर सकते हैं. डेटिंग ऐप्स ने ऑनलाइन डेटिंग को और भी आसान दिया है.डेटिंग ऐप्स मोबाइल ऐप्लिकेशंस होते हैं जो लोगों को अपने शहर या क्षेत्र में मौजूद दूसरे लोगों से कनेक्ट करने का मौका देते है. ये ऐप्स आमतौर पर यूजर की प्रोफाइल, उनकी रुचियों और पसंद-नापसंद के आधार पर दूसरे यूजर्स के साथ उन्हें मैच कर देते हैं. उदाहरण के लिए टिंडर, बंबल और हिंजी जैसे लोकप्रिय डेटिंग ऐप्स ने ऑनलाइन डेटिंग को बेहद सरल, तेज और मजदार बना दिया है. लेकिन क्या आपको पता है कि टिंग ऐप्स के पीछे मैचमेकिंग की एक बड़ी तकनीक काम करती है जिसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहा जाता है. आइए जानते हैं यह कैसे काम करता है..
A.I से होता है मैचमेकिंग
ज्यादातर डेटिंग ऐप्स में मैचमेकिंग अल्गोरिदम होते हैं जो यूजर्स की पसंद, रुचियों और व्यवहार के आधार पर उन्हें एक-दूसरे से जोड़ते हैं. ये अल्गोरिदम मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग जैसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीकों का उपयोग करते हैं. इन ऐप्स को जितना ज्यादा डेटा मिलता है, वो उतना ही बेहतर ढंग से संभावित मैच खोजने में सक्षम हो पाते हैं. उदाहरण के लिए, अगर आपकी पसंद किसी खास तरह की फिल्में, शौक या संगीत है, तो अल्गोरिदम उसी तरह की चीजों से रुचि रखने वाले लोगों को आपके लिए मैच के रूप में सजेस्ट करेगा. इस प्रकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस डेटिंग ऐप्स को यूजर्स के बीच बेहतर कनेक्शन बनाने में मदद करता है.
जानें कैसे करता है यह काम
इन ऐप्स में GPS का इस्तेमाल करके आपके आस-पास के ही लोगों के प्रोफाइल दिखाए जाते हैं, जो आपके नजदीकी इलाके में रहते हों. इसके लिए ऐप को आपका लोकेशन एक्सेस करने की अनुमति देनी पड़ती है. फिर ऐप के अंदर आपको फिल्टर ऑप्शन मिलते हैं जैसे 1 किमी रेंज, 5 किमी या 10 किमी आदि. इस तरह से आप अपने शहर या इलाके के ही लोगों के प्रोफाइल देख सकते हैं और उनमें से किसी के साथ मैच होने पर आसानी से मिल सकते हैं.
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