एक रिसर्च से खुलासा हुआ है कि जन्म के शुरुआती दिनों में एंटीबायोटिक देने पर नवजात का विकास प्रभावित हो सकता है. रिसर्च के नतीजे नेचर कम्यूनिकेशन्स पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, जन्म के 14 दिनों के अंदर एंटीबायोटिक उपचार का संबंध छह साल की उम्र तक लड़कों के कद और वजन में कमी से है.


रिसर्च का दिलचस्प पहलू ये है कि लड़कियों पर उसके कोई नकारात्मक असर सामने नहीं आए. इसके विपरीत, जन्म के पहले छह सालों में और नवजात काल की अवधि बाद एंटीबायोटिक के इस्तेमाल से लड़के और लड़कियों में स्पष्ट रूप से बॉडी मास इंडेक्स ज्यादा देखे गए. एंटीबायोटिक के असर को जांचने के लिए शोधकर्ताओं ने 12 हजार 422 बच्चे-बच्चियों को शामिल किया. 2008-2010 के बीच सभी बच्चे टुर्कू यूनिवर्सिटी अस्पताल में पैदा हुए थे. डॉक्टरों के मशविरे पर उनमें से 1151 नवजात शिशुओं को जन्म के 14 दिनों के अंदर एंटीबायोटिक दी गई थी.


‏रिसर्च के मुताबिक, बच्चों का विकास प्रभावित हो सकता है


छह सालों तक किए गए रिसर्च से पता चला कि एंटीबायोटिक उपचार के असर से लड़कों का वजन एंटीबायोटिक नहीं लेने वालों के मुकाबले ज्यादा कम हो गया. दो और छह सालों की उम्र के बीच उनके कद और बॉडी मास इंडेक्स में भी स्पष्ट रूप से कमी आई. इसके अलावा, जन्म के शुरुआती दिनों में एंटीबायोटिक का असर दो सालों तक आंत माइक्रोबायोम में परेशानी से जुड़ा पाया गया. शोधकर्ताओं का कहना है कि नवजात शिशुओं के लिए एंटीबायोटिक्स बहुत जरूरी और जीवन बचानेवाली दवाइयां हैं.


नतीजों से पता चलता है कि उनके इस्तेमाल का अवांछित दीर्घकालिक परिणाम हो सकता है जिसे समझने की जरूरत है. लेकिन उनका शुरुआती विचार है कि जन्म के फौरन बाद एंटीबायोटिक्स देने से नवजात के आंत माइक्रोबायोम की संरचना में तब्दीली हो सकती है जो आगे चलकर बचपन की वृद्धि को खराब कर सकती है. अतिरिक्त प्रयोगों में शोधकर्ताओं ने साबित किया कि एंटीबायोटिक लेनेवाले शिशुओं के आंत माइक्रोबायोम को जब रोगाणु-मुक्त नर चूहों को दिया गया, तो उससे उनका विकास भी प्रभावित हुआ. फिनलैंड के शोधकर्ताओं ने आंत माइक्रोबायोम के विकास में बदलावों पर जोर दिया है.


ये भी पढ़ें-


Health Tips: आज ही अपनी डाइट में मशरूम को करें शामिल, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग


चीन पर '13' का साया, क्या अब सामने आ पाएगा वुहान से निकले कोरोना वायरस सच?