Dog Vaccination : कुत्तों के लिए उपलब्ध रेबीज वैक्सीन इस बीमारी से बचाव में बहुत ही प्रभावी और कारगर साबित हुई है. कुत्तों को रेबीज का टीका लगवाने से उनमें रेबीज वायरस के विरुद्ध प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है. टीकाकरण से कुत्तों में रेबीज होने का खतरा बहुत कम हो जाता है. कई अध्ययनों से पता चला है कि रेबीज वैक्सीन लगवाने वाले 95 प्रतिशत से अधिक कुत्ते रेबीज संक्रमण से पूरी तरह से सुरक्षित होते हैं. टीकाकरण की सही समय और खुराक पूरी करने पर वैक्सीन लगभग 100 प्रतिशत कारगर है. 


अधिकांश देशों में, कुत्तों को रेबीज की वैक्सीन लगवाना कानूनी रूप से अनिवार्य है, ताकि रोग का प्रसार रोका जा सके और जानवर और मनुष्यों के बीच सुरक्षा की गारंटी हो. अगर कोई कुत्ता रेबीज पॉजिटिव है और उसने वैक्सीन नहीं ली है, तो वह वायरस को  दूसरे  जानवर और व्यक्ति में पहुंच सकता है. इसलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जो पालतू कुत्ते होते हैं वह नियमित रूप से वैक्सीनेट किया गया है. 


कुत्तों में रेबीज वैक्सीनेशन 



  • पहला डोज: पहला डोज कुत्ते के 12 से 16 हफ्ते की उम्र में दिया जाता है.

  • दूसरा डोज: पहले डोज के बाद के 1 साल बाद दूसरा डोज दिया जाता है.

  • इसके बाद, अधिकतर देशों में, रेबीज वैक्सीनेशन हर 3 साल पर लगाया जाता है. हालांकि, कुछ जगहों पर यह हर साल लगाने की भी सलाह दी जाती है. 


जाने कुत्तों के लिए वैक्सीन कब बनी 
कुत्तों को दी जाने वाली रेबीज के खिलाफ पहली वैक्सीन 1923 में फ्रांस के वैज्ञानिक पियेरे लेकोक द्वारा बनाई गई थी. लेकोक ने फेरेट स्ट्रेन वायरस का उपयोग करके एक वैक्सीन विकसित की जिसे कुत्तों पर परीक्षण के बाद सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया गया. 1925 में जॉर्ज एम. स्टीनहार्ड ने एक और प्रभावी कुत्ता रेबीज वैक्सीन बनाई. 1940 के दशक में सेल कल्चर वैक्सीन विकसित हुई जो आज भी प्रयोग में है. उसके बाद 1980 के दशक में रिकॉम्बिनेंट वैक्सीन बनाई गई. जो आज सभी जगह कुत्तों को लगाया जाता है. 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें