इंटरनेट हमारी जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है. शिक्षा, काम, सोशल मीडिया, कारोबार या मनोरंजन के लिए आज सब कुछ डिजिटल है. जैसा कि ये जरूरत धीरे-धीरे हमारे ऊपर हावी हो रही है, ऐसे में क्या कभी आपने सोचा है कि अत्यधिक डिजिटल निर्भरता का हमारी सामान्य जिंदगी पर क्या प्रभाव पड़ता है? डिजिटल निर्भरता समय के साथ बढ़ी है. ये वक्त की जरूरत बन चुकी है. डिजिटल निर्भरता की कई शक्लें हैं, जैसे फोन, सोशल मीडिया, वेबसाइट और ओटीटी प्लेटफॉर्म का बेहद इस्तेमाल.
आसान शब्दों में, डिजिटल निर्भरता को इंटरनेट या इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पर हद से ज्यादा निर्भर होने को कहा जाता है. डिजिटल निर्भरता समय के साथ बढ़ती है और कभी-कभी उसका असर हमारी जिंदगी में कई संकेतों से समझा जा सकता है. सामाजिक मेलजोल से दूर होने और संबंध के लिए तकनीक पर निर्भर होने की शुरुआत मानसिक सेहत की चिंताएं बढ़ाने के लिए काफी हैं.
इन संकेतों से समझें डिजिटल निर्भरता
1. ज्यादा ऑनलाइन गतिविधियों के बारे में सवाल करने पर आप रक्षात्मक हो सकते हैं. इंटरनेट के बहुत ज्यादा इस्तेमाल को खारिज करें, लेकिन सवाल से आप बहुत ज्यादा आक्रामक और उत्तेजित हो सकते हैं इसके नतीजे में गुस्सा फूटता है और आगे अलगाव होता है.
2. आप सब कुछ वर्चुअल दुनिया से जोड़ सकते हैं, चाहे सामाजिक जिंदगी हो, काम हो या फिर गेम्स. आपको वर्चु्अल दुनिया का सहारा लेना आसान लगता है.
3. परिवार और दोस्तों के मुकाबले उपकरणों के साथ समय बिताने को प्राथमिकता देना भी डिजिटल निर्भरता का संकेत है. सामाजिक कार्यक्रमों या जमावड़े से दूरी बनाकर आपका ज्यादातर समय सिर्फ उपकरणों पर बीतने लगता है.
4. शारीरिक गतिविधियों के किसी प्रकार में दिलचस्पी का कम होना क्योंकि वर्चुअल दुनिया से जुड़े रहने के लिए कई तरह की गतिविधियां होती हैं.
दिमाग और स्वास्थ्य पर उसका बुरा प्रभाव
1. बहुत ज्यादा नकारात्मक खबरें पढ़ना, बहस में शामिल होना या दूसरे यूजर को बदनाम करना नकारात्मकता फैलाने का एक नया तरीका और 'मनोरंजन' की शक्ल बन गया है. नकारात्मकता की इस शक्ल का विचारों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है. ये आगे आत्मविश्वास की हानि और कम सम्मान की ओर ले जाता है. कभी-कभी ये संभावित रूप से डिप्रेशन को भी बढ़ा सकता है.
2. रात में देर तक डिवाइस चलाने से इंसोमनिया हो सकता है. स्क्रीन की रोशनी सोने में मुश्किल पैदा करती है, जिससे आगे स्लीप चक्रम में बदलाव होता है. ये चिड़चिड़ापन, मूड में बदलाव, ध्यान की कमी और मन से काम करने में परेशानी को बढ़ावा देता है.
3. देर तक मोबाइल, कंप्यूटर और दूसरी डिवाइस का इस्तेमाल आंखों को नुकसान पहुंचाता है. आंख की कई परेशानियों जैसे लाल, सूखा, संक्रमण और धुंधलापन के लिए ये संवेदनशील बनाते हैं. समय-समय पर गंभीर सिर दर्द का भी अनुभव हो सकता है.
4. डिजिटिल निर्भरता सुस्त लाइफस्टाइल और शारीरिक गतिविधियों की कमी को बढ़ावा देती है और देर तक बैठने से वजन बढ़ता है. अगर उपाय नहीं किया गया, तो उससे मोटापा, दिल संबंधी समस्याएं और सेहत के अन्य मुद्दे भी हो सकते हैं.
5. एक ही पोजीशन में देर तक बैठने से गर्दन, कंधे और पीठ दर्द हो सकता है. गंभीर मामलों में, ये स्पॉन्डिलाइटिस और अन्य पीठ से जुड़ी समस्याओं की ओर भी ले जा सकता है. देर तक फोन का इस्तेमाल पीठ, रीढ़ और गर्दन पर दबाव डालता है.
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