Highest Temperature A Human Can Survive: अप्रैल से लेकर जुलाई तक गर्मी लोगों को जमकर परेशान करती है. भले ही बारिश का मौसम है, लेकिन गर्मी पसीने छुड़ा रही है. बारिश में ह्यूमि़डिटी बढ़ने की वजह से तेजी से पसीना निकलता है. ऐसे में शरीर में पानी की कमी होने लगती है. गर्मी में आपको खूब पानी पीना चाहिए. जिससे शरीर के अंदर का तापमान सही रहे. हालांकि ये सवाल भी मन में आता है कि आखिर इंसान का शरीर कितना तापमान झेल सकता है. इस पर कई वैज्ञानिक और डॉक्टर्स की राय है कि मानव शरीर 37.5 डिग्री सेल्सियस तक तापमान झेल सकता है. आइए जानते हैं कैसे? 


शरीर कितना तापमान झेल सकता है? 



  • चाहे गर्मी हो या सर्दी हमारे शरीर के भीतर का तंत्र शरीर का तापमान 37.5 डिग्री सेल्सियस बनाए रखने के लिए काम करता है. 

  • वहीं दिमाग के पीछे का हिस्सा जिसे हाइपोथैलेमस कहा जाता है वो शरीर के अंदर के तापमान को रेगुलेट करता है.

  • पसीना आना, मुंह से सांस लेना, गर्मी लगने पर खुली और हवादार जगह पर जाना, ये सब शरीर के अंदर के वो सिस्टम हैं जो तापमान को कंट्रोल रखते हैं. 

  • तापमान बढ़ने पर ब्लड वैसेल्स भी चौड़ी होने लगती हैं, जिससे खून शरीर के हर हिस्से में आसानी से पहुंच सके.

  • मानव शरीर 37.5 डिग्री सेल्सियस में काम करने के लिए बना है. ऐसे में तापमान 2-4 डिग्री ऊपर और नीचे जाने से शरीर को कई दिक्कत नहीं होती है.


शरीर कितनी गर्मी झेल सकता है ये बाहर के तापमान के अलावा कई और बातों पर भी निर्भर करता है जैसे-
1- आप कितनी देर उस तापमान के एक्सपोजर में आए हैं.
2- मौसम में आद्रता कितनी है.
3- पसीना या पानी शरीर से कैसे बाहर निकल रहा है.
4- आपकी फिजिकल एक्टिविटी क्या है.
5- आपने कैसे कपड़े पहने हैं.
ये बातें भी शरीर को बढ़े हुए तापमान को संतुलित करने में मदद करती हैं. ह्यूमिडिटी होने पर शरीर से पसीना बहुत निकलता है. ऐसे में आपको पानी खूब पीना चाहिए. पसीना ज्यादा आने से पानी की कमी होने लगती है. अगर शरीर सूरज की किरणों के बीच ज्यादा समय के लिए रहता है तो इससे बुखार जैसी स्थिति या हारइप थर्मिया जैसी स्थिति पैदा हो जाती है. अगर बाहर का टेंपरेचर धीरे-धीरे बढ़ता है तो शरीर इसे एडजस्ट कर लेता है, लेकिन अचानक से तापमान बढ़ने से परेशानी होने लगती है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की एबीपी न्यूज़ पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.


ये भी पढ़ें: Health Tips: बार बार पड़ते हैं बीमार, कहीं वीक इम्यूनिटी तो नहीं है जिम्मेदार?