Enlight candle in Bedroom: सोने से पहले जलाते हैं खुशबूदार कैंडल तो जरूर बरतें सेहत के खतरे से जुड़ी ये सावधानी
Aromatic candles: खुशबूदार मोमबत्ती जलाने से माहौल खुशनुमा हो जाता है. फिर चाहे आप इन्हें कैंडल लाइट डिनर के दौरान डायनिंग टेबल पर जलाएं या फिर सोने से पहले बेडरूम में. लेकिन ये सावधानी जरूर बरतें
Are aromatic candles good for health: सोने से पहले खुशबूदार कैंडल जलाने के कई फायदे हैं. एक तो इससे आपके रूम का माहौल पूरी तरह पॉजिटिव हो जाता है और दूसरी ये कि इनकी खुशबू मन को शांति देती है, जिससे नींद जल्दी और गहरी आती है. कैंडल जलाने के बाद कमरे में ना तो बहुत तेज रोशनी होती है और ना ही एकदम घुप अंधेरा और यह स्थिति मन-मस्तिष्क को शांति देने के लिए बहुत अच्छी होती है. ऐसी मद्धम रोशनी में ब्रेन के अंदर मेलाटोनिन ( Melatonin)हॉर्मोन का सीक्रेशन अच्छी तरह से हो पाता है.
मेलाटोनिन हमारी नींद को कंट्रोल करने वाला हॉर्मोन होता है और सोने-जागने के पैरटर्न को बनाने में मदद करता है. जो लोग लाइट जलाकर सोते हैं, उनकी नींद की क्वालिटी अच्छी नहीं होती है क्योंकि तेज रोशनी में ब्रेन मेलेटोनिन को सही मात्रा में प्रड्यूस नहीं कर पाता है. यही कारण है कि 8 घंटे की नींद के बाद भी अगले दिन शरीर थका हुआ और टूटा-टूटा रहता है. जो लोग नियमित रूप से रात को तेज लाइट जलाकर सोते हैं, हो सकता है खुद उन्हें इस बात का अहसास ना होता हो. लेकिन एक समय के बाद इनके शरीर में फैट बढ़ने लगता है. थायरॉइड की समस्या हो सकती है, मानसिक समस्याएं शुरू हो सकती हैं.
खुशबूदार कैंडल जलाने की विधि
रात को सोने से पहले आप जो खुशबूदार कैंडल जला रहे हैं, उसके बारे में पहले कुछ बातों की पड़ताल कर लें. जैसे, क्या यह कैंडल पेराफिन की बनी है. अगर हां तो आप इसे सोने से पहले ना जलाएं. पेराफिन एक पेट्रोलियम पदार्थ है, जिसका उपयोग मोमबत्ती बनाने में भी किया जाता है. जब आप ऐसी मोमबत्ती को जलाते हैं तो यह कमरे में खुशबू तो फैलाती है लेकिन साथ ही बेंजीन जैसे केमिकल भी रिलीज करती है, जो हवा में इरिटेशन बढ़ाने वाले मॉलेक्यूल्स की वजह बनते हैं.
आप पता करें कि आप जो कैंडल सोने से पहले जला रहे हैं, क्या उसकी बत्ती (वो धागा जिसे जलाया जाता है) लेड की तो नहीं बनी है. क्योंकि ज्यादातर खुशबूदार कैंडल्स की बत्ती (Wick) लेड से बनी होती है. यदि ऐसा है तो आप इसे सोने से पहले ना जलाएं. क्योंकि किसी भी स्थिति में यदि लेड सोते समय सांसों के माध्यम से अधिक मात्रा में शरीर में गया तो घातक स्थिति का कारण बन सकता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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