Amrit Udyan Interesting Facts: ये खबर आपको मिल गई होगी कि राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया गया है और इस समय ये उद्यान आम लोगों के लिए खुला हुआ है. आप चाहें तो समय निकालकर इसे कभी भी घूमकर आ सकते हैं. यहां जाने के लिए कोई टिकिट नहीं है, बस आपको जाने से पहले अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा. जिसे आप राष्ट्रपति भवन की वेवसाइट पर जाकर करा सकते हैं. यदि आप बिना रजिस्ट्रेशन के जाते हैं तो गेट नंबर 35 के निकट स्थित विंडो नंबर 1 पर जाकर आपको एंट्री करानी होगी. खैर, ये तो हुई राष्ट्रपति भवन के अमृत उद्यान पहुंचने की बात. अब कुछ ऐसी जानकारियां हम आपसे साझा कर रहे हैं, जिन्हें जानने के बाद अगर आप अमृत उद्यान जाएंगे तो आपका घूमने का मजा दोगुना हो जाएगा...


अमृत उद्यान नाम क्यों रखा गया?



  • जबसे मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान किया गया है, कई लोग ये सवाल कर रहे हैं कि कुछ और नाम रख देते... ये अमृत उद्यान ही क्यों रखा है! तो इसका कारण ये है कि देश अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने पर इस समय को अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है. इसलिए अंग्रेजों की गुलामी के प्रतीक रहे मुगल गार्डन का नाम बदला गया है. 

  • अब आपके मन में सवाल आएगा कि जब मुगल गार्डन है तो अंग्रेजो की गुलामी का प्रतीक कैसे हुआ? तो इसका उत्तर ये है कि राष्ट्रपति भवन का निर्माण अंग्रेजों द्वारा वायसराय हाउस के रूप में कराया गया था. उस समय मुगल स्थापत्य कला को अपनाते हुए इस गार्डन का निर्माण किया गया, इसलिए इसका नाम मुगल गार्डन रखा गया था. आजादी के बाद वायसराय हाउस का नाम बदलकर तो राष्ट्रपति भवन कर दिया गया लेकिन इस गार्डन का नाम नहीं बदला गया था, जिसे अब बदला गया है.


95 साल पुराना है ये गार्डन लगे हैं इतने पौधे



  • अमृत उद्यान करीब 95 साल पुराना है और ये दुनिया के सबसे खूबसूरत गार्डन्स में से एक है.  यहां 160 प्रजातियों के करीब 5 हजार पेड़-पौधे लगे हैं.

  • यहां एक नक्षत्र गार्डन बना हुआ है, जिसमें ग्रहों की खूबियों के आधार पर उनसे संबंधित पौधे लगे हैं. 

  • गार्डन में करीब 159 प्रकार के गुलाब लगे हैं. यानी इतने गुलाब आपको यहां देखने को मिलेंगे, जितने आपने इससे पहले शायद ही कभी देखे हों. यहां कई तरह के ट्यूलिप के फूल भी आपको देखने को मिलेंगे.

  • गार्डन में हर पौधे के पास एक QR कोड लगा है, जिसे स्कैन करके आप पौधे से संबंधित जानकारियां जुटा सकते हैं. साथ ही यहां 20 प्रफेशनल मौजूद रहेंगे, जिनसे आप पौधों के बारे में जानकारी ले सकते हैं.


किसने बनाया था अमृत उद्यान?



  • अंग्रेजों के शासनकाल में वायसराय हाउस का निर्माण करने वाले सर एडविन लुटियंस ने अमृत उद्यान को बनाया. लुटियंस की पत्नी क्रिस्टोफर हसी ने लुटियंस पर एक बुक लिखी है 'द लाइफ ऑफ सर एडविन लुटियंस' इसमें अमृत उद्यान की तरीफ करते हुए हसी ने लिखा है कि 'ये गार्डन स्वर्ग से कम नहीं है. यहां की खूबसूरती को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. उद्यान में रंगों और सुगंधों की भरमार है.'

  • आपको याद दिला दें कि उस काल में अंग्रेजों का जितने भी देशों पर राज था, उनमें भारत सबसे अमीर देश था. इसलिए ये यहां वायसराय से जुड़ी हर चीज को रॉयल टच और रॉयल फील देना चाहते थे. इसी सोच पर आगे बढ़ते हुए मुगल गार्डन का निर्माण किया गया था.


इस गार्डन के बारे में क्या है अलग?


उद्यान में सिर्फ पेड़ पौधे ही देखने को नहीं मिलेंगे बल्कि हर राष्ट्रपति का योगदान भी आपको इस गार्डन में देखने को मिलेगा. अलग-अलग राष्ट्रपति ने अपनी रूचि के हिसाब से यहां अलग-अलग उद्यान भी लगाएं हैं. जैसे, हर्बल उद्यान, म्यूजिकल उद्यान, टेक्सटाइल उद्यान, बायोफ्यूल उद्यान, आध्यात्मिक उद्यान आदि देखने को मिलेंगे.


 


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