मानसून राहत के साथ बीमारियों का भरमार लेकर आता है. पानी से होनेवाली बीमारी जैसे पीलिया और टाइफायड के अलावार मच्छर से होनेवाली बीमारी जैसे डेंगू और मलेरिया की आशंका बढ़ जाती है. उसी तरह भोजन से होनेवाली बीमारियां गंभीर खतरा पैदा करती हैं. इसका कारण दूषित भोजन या पानी का इस्तेमाल है जिसमें बैक्टीरिया, वायरस या दूसरे रोगजनक होते हैं. भोजन से होनेवाली बीमारियां दो से तीन दिनों तक रहती हैं.


इन बीमारियों के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील लोगों में बुजुर्ग, प्रेगनेन्ट महिला या ब्रेस्टफीडिंग करानेवाली मां, बच्चे और पुरानी बीमारियों जैसे कैंसर, लीवर के साथ कमजोर इम्यून सिस्टम वाले शामिल हैं. फोर्टिस अस्पताल, कल्याण से जुड़ीं डॉक्टर उपासना शर्मा बताती हैं, "मानसून के दौरान भोजन से होनेवाली बीमारियों का प्रसार 10 गुना बढ़ जाता है. ये बीमारियां स्वभाव में हल्की होती हैं." विशेषज्ञ भोजन से होनेवाली बीमारियों के आम लक्षण पेट दर्द या पेट में ऐंठन, उल्टी, मतली, डायरिया, कमजोरी, हल्का बुखार बताते हैं. 


मानसून की बीमारियों से बचाव के उपाय
बैक्टीरिया और रोगजनक भोजन के हर स्रोत पर करीब पाए जाते हैं. कच्चा खाया जानेवाला भोजन फूड प्वॉयनिंग का सबसे बड़ा फैक्टर होता है. भोजन से होनेवाली बीमारियां या प्वॉयजनिंग की रोकथाम के लिए कुछ उपाय बताए जा रहे हैं. खाद्य सुरक्षा और स्वास्थ्य की दिशा में सफाई बहुत महत्वपूर्ण और अहम कदम है. भोजन खाने या पकाने से पहले हमेशा अपने हाथ को धोएं. सिर्फ उबला या फिल्टर किया हुआ पानी पीएं. अंडे और मांस को अच्छी तरह पकाना सुनिश्चित करें.


अधपके या कच्चा भोजन से परहेज करें. पकाने से पहले मांस, फल और सब्जियों को अच्छी तरह साफ करें. ओआरएस का घोल भी एक अच्छा विकल्प है. ये इलेक्ट्रोलाइट्स की बहाली में मदद करता है. इस्तेमाल से पहले फ्रिज में रखे हुए खाने को गर्म कर खाएं. मसालेदार या पचने में सख्त भोजन खाने से बचें. अगर आपको लगातार उल्टी और डायरिया का दो दिनों से ज्यादा सामना है, मल में खून आ रहा है, बुखार सामान्य से ज्यादा है, चक्कर या असहनीय पेट दर्द है, मुंह में सूखापन है या पेशाब का रंग बदला हुआ है, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें. 


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