Refined oil: आज के समय में लोगों की खान-पान की आदतों में बहुत बदलाव आया है. पहले सरसों या घी जैसे फायदेमंद तेल का इस्तेमाल होता था, लेकिन अब रिफाइंड ऑयल का प्रयोग हर घरों में आम हो गया है. रिफाइंड ऑयल का प्रयोग सुविधाजनक लगता है, परंतु यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित होता है. रिफाइंड ऑयल में ट्रांस-फैटी एसिड, रसायन और कैंसरकारक तत्व होते हैं. इससे हृदयरोग, मोटापा, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए रिफाइन ऑयल के इस्तेमाल से बचें और  कच्चे तेल जैसे सरसों, तिल या नारियल का तेल का प्रयोग करें. 


दिल को करता है बीमार 
रिफाइंड ऑयल को हाई टेंपरेचरपर तैयार किया जाता है जिससे इसमें मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं.रिफाइनिंग की प्रक्रिया में ऑयल से विटामिन E, प्रोटीन और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स नष्ट हो जाते हैं. इससे ऑयल में ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट की मात्रा बढ़ जाती है जो हानिकारक होते हैं. यह LDL कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और इन्सुलिन लेवल को बढ़ाकर दिल की बीमारियों का खतरा पैदा करता है. इसलिए रिफाइंड ऑयल का नियमित उपयोग सेहत के लिए हानिकारक है. 


शरीर में प्रोटीन की कमी 
कच्चे तेल में स्वाभाविक रूप से मौजूद गंध और प्रोटीन तत्वों को रिफाइनिंग की प्रक्रिया में हटा दिया जाता है. इस प्रक्रिया से तेल की गंध और स्वाद में सुधार होता है लेकिन प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों की मात्रा घट जाती है.प्रोटीन कम मात्रा में होने से रिफाइंड ऑयल का नियमित सेवन शरीर में प्रोटीन की कमी का कारण बन सकता है. 


त्वचा के लिए हानिकारक रिफाइंड ऑयल
रिफाइंड ऑयल में विटामिन ई और एंटीऑक्सीडेंट्स नहीं होते हैं जो त्वचा के लिए लाभदायक होते हैं. साथ ही इसमें मौजूद ट्रांस फैटी एसिड त्वचा की नमी को कम करते हैं जिससे रूखापन और झुर्रियां आती है. 


हेल्दी फैट नहीं मिलता है 
रिफाइनिंग की प्रक्रिया में ऑयल से मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड जैसे हेल्दी फैट्स को निकाल दिया जाता है. रिफाइंड ऑयल का नियमित सेवन हृदय रोग और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकता है. 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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