If your baby cries at night many a times: जन्म के बाद से अगले एक साल तक बच्चे रात में बहुत परेशान करते हैं. कुछ ही मां ऐसी होती हैं जिनके बच्चे रात में सोते रहते हैं वरना रात को उठ-उठकर रोना बच्चों की एक कॉमन प्रॉब्लम है. हालांकि ये बात सभी पर फिट नहीं बैठती लेकिन कुछ कारण हैं जो ज्यादातर बच्चों के लिए कॉमन होते हैं. आइए जानते हैं कारण और निवारण.
भूख और गैस –
बहुत छोटे बच्चे अक्सर भूख से रोते हैं. जन्म के बाद से चार, पांच महीनों तक उन्हें बहुत जल्दी-जल्दी फीड चाहिए होता है. एक बार में ज्यादा फीड नहीं लेते लेकिन बार-बार लेते हैं.
इसी तरह इस उम्र में बच्चों को अक्सर कोलिक की यानी गैस की शिकायत रहती है. पेट में हल्की सी भी उलझन होती है तो वे सो नहीं पाते.
दांत निकलना या बीमारी –
कई बच्चों के 6 से 8 महीने के होने पर ही दांत निकलने लगते हैं. बच्चे ऐसे में भी बहुत चिड़चिड़ाते हैं और बिलकुल नहीं सोते. इसे पहचानने का सबसे अच्छा तरीका है कि अगर वे बार-बार अपना हाथ या कोई भी सामान मुंह में डालें तो समझ जाइए उन्हें इरिटेशन हो रहा है.
कई बार रात में वे कंजेशन, फीवर या पेट दर्द से भी उठते हैं. बीमार होने पर वे ठीक से सो नहीं पाते और अगर रो रहे हैं लेकिन फीड नहीं ले रहे तो अक्सर ये बीमार होने का संकेत ही होता है.
क्या है इलाज –
बच्चे रात को क्यों रोएंगे ये सटीक तरह से नहीं बताया जा सकता पर उन्हें सुलाने से पहले जो और जितनी तैयारी आप कर सकते हैं, वो कर लीजिए. उसे फीड देने के बाद डकार दिलाएं और कपड़े बदलकर ढीले आरामदायक कपड़ों में सुलाएं. रूम का टेम्परेचर उसके हिसाब से रखें और सोते समय गीला न हो तो इसलिए डायपर पहनाती हैं तो पहनाकर सुलाएं पर रात में उसे बदलना न भूलें. बच्चे मां के स्पर्श को खूब पहचानते हैं इसलिए उसे अपने पास रखें और खुश रहें. आपकी एंजाइटी कब आपके बच्चे में शिफ्ट हो जाती है आप समझ भी नहीं सकती.
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