मात्र 18.9 फीसद बुजुर्गों के पास हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा है और स्वास्थ्य पर उनके ज्यादा खर्च करने की क्षमता नहीं है. ये खुलासा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्था मद्रास की तरफ से किए गए रिसर्च में हुआ है. आईआईटी मद्रास ने महामारी के दौरान बुजुर्गों के हेल्थकेयर पर एक सर्वेक्षण किया था और उसकी रिपोर्ट 'ग्लोबलाइजेशन और स्वास्थ्य' पत्रिका में प्रकाशित हुई है.


बुजुर्गों पर कोविड-19 का प्रभाव ज्यादा 


रिपोर्ट में बताया गया है कि 80 वर्ष या उससे ज्यादा के लोगों की 27.5 फीसद आबादी गतिहीन है और बुजुर्गों की 70 फीसद संख्या आंशिक या पूरी तरह दूसरों पर आर्थिक रूप से निर्भर है. रिसर्च के मुताबिक, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और दिल संबंधी बीमारियां बुजुर्गों में आम हैं और आर्थिक-सामाजिक रूप से कमजोर लोगों को ज्यादा झेलना पड़ता है. अधिकतर बुजुर्गों को इम्यून सिस्टम कमजोर होने के अलावा चिह्नित उन स्थितियों में से कोई एक है. महामारी ने हेल्थकेयर सुविधाओं तक पहुंच को ज्यादा मुश्किल बना दिया है.


रिसर्च से पता चलता है कि कोविड-19 के नियमों जैसे शारीरिक दूरी और आइसोलेशन से बुजुर्गों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना लाजमी है, जिससे डिप्रेशन और अन्य समस्याएं हो सकती हैं. लॉकडाउन के दौरान गतिशीलता के मुद्दे, युवा पीढ़ी पर निर्भरता उनकी बुनियादी हेल्थकेयर और अन्य बीमारियों के लिए जरूरी देखभाल की रूटीन तक पहुंच को प्रभावित करते हैं.


मात्र 18.9 फीसद के पास स्वास्थ्य बीमा


लिहाजा, सरकार को सुझाव देते हुए आग्रह किया गया है कि बुजुर्गों पर कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य में ज्यादा निवेश किए जाने की जरूरत है. सर्वे को स्‍वास्‍थ्‍य पर राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण के 75वां दौर 2017-2018  के आधार पर अंजाम दिया गया था. राष्ट्रीय सैंपल सर्वेक्षण में 1 लाख 13 हजार 823 घरों और 8, 077 गांवों और 6, 181 शहरी क्षेत्रों के बेतरतीब चुने गए 5 लाख 55 हजार 115 लोगों को शामिल किया गया था.


नतीजों से पता चला कि स्वास्थ्य की स्थिति के साथ-साथ देश भर में बुजुर्गों को हेल्थकेयर सुविधा में असमानता मौजूद थी. रिसर्च के महत्वपूर्ण नतीजों पर टिप्पणी करते हुए प्रोफेसर मुरलीधर ने कहा, "हमारा रिसर्च उन तरीकों पर प्रकाश डालता है जिसमें बुजुर्ग कोविड-19 की रोकथाम के उपायों जैसे सोशल डिस्टेंसिंग, शारीरिक दूरी के कारण प्रभावित हुए हैं और डिप्रेशन को बढ़ा सकता है जिससे बुजुर्गों में सूजन की प्रतिक्रिया की ज्यादा संभावना हो सकती है. 


प्रेगनेन्सी के बाद फिटनेस को कैसे करें बहाल, महिला पहलवान गीता फोगाट हैं बेहतरीन मिसाल


Happy Hypoxia क्या है और कोविड-19 मरीजों के लिए कैसे खतरनाक हो सकता है? जानें