सर्वाइकल कैंसर में किस हिस्से में होता है दर्द, महिलाओं में क्यों बढ़ता जा रहा है यह मामला?
सर्वाइकल कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो महिलाओं के लिए बड़ा ख़तरा बनी हुई है. आंकड़ों के अनुसार हर 8 मिनट में एक महिला की इस कैंसर से मौत हो जाती है. आइए जानते हैं इसके बारे में...
सर्वाइकल कैंसर एक खतरनाक कैंसर है जो महिलाओं को होता है. यह गर्भाशय के नीचे के हिस्से यानि गर्भाशय ग्रीवा में होने वाला कैंसर है. इसे गर्भाशय के मुंह का कैंसर भी कहा जाता है. यह कैंसर एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) नामक वायरस के कारण होता है. एचपीवी शरीर में प्रवेश करके गर्भाशय के अंदरूनी हिस्से को नुकसान पहुंचाता है और धीरे-धीरे कैंसर का रूप ले लेता है. यह स्तन कैंसर के बाद दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है. हर 8 मिनट में एक महिला इससे मर जाती है. भारत में हर साल 74 हज़ार महिलाएं इस कैंसर से मर जाती हैं. लेकिन सही समय पर इलाज से बचा जा सकता है. 9 से 14 साल की लड़कियों को एचपीवी का टीका लगवाने से 97% तक बीमारी से बचा जा सकता है.
सर्वाइकल कैंसर का शुरूआती लक्षण
सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षण काफी हल्के होते हैं जिन्हें अक्सर नज़रअंदाज कर दिया जाता है. लेकिन, ये लक्षण इस बीमारी के प्रति सचेत रहने का संकेत देते हैं. इसलिए महिलाओं को इन लक्षणों को अनदेखा नहीं करना चाहिए और समय रहते डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.
- गर्भाशय ग्रीवा में असामान्य रक्तस्राव
- यौन संबंध बनाते समय दर्द होना
- पेट में ऐंठन जैसा दर्द
- मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव
- मासिक चक्र के बीच में भी रक्तस्राव
सर्वाइकल कैंसर का बचाव
- एचपीवी वैक्सीन लगवाना - यह सबसे अहम बचाव है. एचपीवी वायरस सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण है. इस वैक्सीन से एचपीवी से होने वाले संक्रमण और कैंसर से बचा जा सकता है.
- सुरक्षित यौन-संबंध बनाना - असुरक्षित यौन-संबंध से एचपीवी हो सकता है. कंडोम का इस्तेमाल ज़रूरी है.
सर्वाइकल कैंसर हैं कैसे पता चलता है
सर्वाइकल कैंसर का पता लगाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण जांचें की जाती हैं. सर्वाइकल कैंसर के लक्षण अक्सर शुरुआत में दिखाई नहीं देते. इसलिए स्क्रीनिंग टेस्ट ज़रूरी होते हैं. पैप स्मीयर टेस्ट सबसे सामान्य और महत्वपूर्ण टेस्ट है. इसमें गर्भाशय ग्रीवा के ऊतकों का नमूना लिया जाता है और माइक्रोस्कोप से देखा जाता है. अगर पैप स्मीयर में असामान्य कोशिकाएं मिलती हैं तो एचपीवी टेस्ट या बायोप्सी जैसी अन्य जांचें की जा सकती हैं. बायोप्सी से ऊतकों का नमूना लेकर जांच की जाती है. इन जांचों से सर्वाइकल कैंसर का सही समय पर पता लगाया जा सकता है और उपचार शुरू किया जा सकता है.
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