Independence Day 2022: भारतीय संस्कृति और परंपराएं कुछ ऐसी हैं जो अब पूरी दुनिया में फेमस हो गई है. हम सभी भारत के रीति-रिवाजों और परंपराओं को बहुत ही विवध और अद्वितीय मानते हैं, लेकिन शायद ही कभी हम इस पर विचार करते हैं कि आखिर यह चीजें कुछ खास तरीकों से क्यों की जाती है. भारतीय संस्कृति कई अनोखे रीति-रिवाजों और परंपराओं से भरी हुई है.
भारत की यह संस्कृति बाहरी लोगों को काफी दिलचस्प लगती है. इनमें से अधिकांश प्राचीन भारतीय शास्त्रों और ग्रंथों से उत्पन्न हुई हैं. भारत की संस्कृति दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जो लगभग 4,500 साल पहले शुरू हुई थी. आइए जानते हैं भारत की ऐसी ही संस्कृति और परंपराओं के बारे में जिसे आप केवल भारत में ही देख पाएंगे.
अभिवादन-नमस्ते
भारतीय रीति-रिवाजों में नमस्ते सबसे लोकप्रिय है और अब आदर देने का एक प्राचीन तरीका है. नमस्ते या नमस्कार प्राचीन हिंदू शास्त्रों, वेदों में वर्णित पारंपरिक अभिवादन के पांच रूपों में से एक है. नमस्ते से आशय होता है कि, मैं आपको नमन करता हूं. यह एक दूसरे को अभिवादन करने का एक भारतीय तरीका है.
त्यौहार और धर्म
भारत में बड़ी संख्या में त्यौहार मनाएं जाते हैं, क्योंकि भारत देश में अलग-अलग धर्म और संस्कृति के लोग मौजूद हैं. मुसलमान ईद मनाते हैं, ईसाई क्रिसमस और गुड फ्राइडे मनाते हैं. सिख बैसाखी और उनके गुरुओं के जन्मदिन मनाते हैं. हिंदुओं में दिवाली, होली, मकर संक्रांति होती है और जैनियों में महावीर जयंती मनाई जाती है. यहां बुध्दिष्ट बुद्ध पूर्णिमा मनाते हैं. भारत में साल भर अलग-अलग त्यौहार बड़े ही धूम-धाम से मनाएं जाते हैं. इन परंपराओं और संस्कृति के कारण ही भारत देश दुनिया भर में दूसरे देशों से अलग है.
संयुक्त परिवार
भारत देश में संयुक्त परिवार की अवधारणा मौजूद है. संयुक्त परिवार में माता-पिता, पत्नी, बच्चे और कभी कभी रिश्तेदार भी शामिल होते हैं, और सभी एक साथ ही रहते हैं. संयुक्त परिवार में रहने से कई तरह की समस्याओं और तनाव से निपटने में मदद मिलती है. भारत एक मात्र ऐसा देश है जहां संयुक्त परिवार का कॉन्सेप्ट देखने को मिलता है.
व्रत या उपवास
उपवास हिंदू संस्कृति का एक अभिन्न अंग है. व्रत या उपवास आपके संकल्प का प्रतिनिधित्व करने या देवी-देवताओं के प्रति अपना आभार व्यक्त करने का एक अद्दभुत तरीका है. देश भर में लोग विभिन्न धार्मिक उत्सवों पर व्रत रखते हैं. कुछ लोग सप्ताह के अलग-अलग दिनों में किसी विशेष देवी या देवता के लिए भी उपवास रखते हैं. माना जाता है कि, उपवास रखने से शरीर भी स्वस्थ्य रहता है. साथ ही यह देवी-देवताओं से प्रार्थना कर अपने दुख-दर्द दूर करने का एक तरीका है. मान्यता है कि, उपवास रखने से घर में सुख-समृध्दि आती है. उपवास या व्रत आप सिर्फ भारत की ही संस्कृति में देख पाएंगे.
अरेंज मैरिज
लंबे समय से इंडिया में अरेंज मैरिज की कल्चर है. प्राचीन काल में तो शाही परिवारों में दुल्हन के लिए स्वयंवर के नाम से जाना जाने वाला एक समारोह आयोजित किया जाता था. स्वयंवर समारोह में पूरे राज्य दुल्हन से शादी करने के लिए युवाओं के बीच अलग-अलग तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती थी, या दुल्हन खुद ही अपने आदर्श दुल्हे का चयन करती थी. आज भी भारत में अरेंज मैरिज ही पसंद की जाती है. यह भारतीय परंपराओं का एक अभिन्न अंग है.
अतिथि देवो भव:
अतिथि देवो भव का भारत की संस्कृति में बहुत महत्व है. अतिथि देवो भव का अर्थ है कि, अतिथि भगवान के समान है. इस कहावत के तहत माना जाता है कि, जो भी अतिथि हमारे घर या देश आया है वह भगवान के समान है, उसका आदर सत्कार किया जाना चाहिए. अतिथि को कभी भी अपमानित नहीं किया जाना चाहिए. अतिथि देवो भव की संस्कृति की वजह से ही दुनिया भर में भारत की अलग पहचान है.
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